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(क्यों नही बनी इन 25 सालों में कोई ठोस नीति पलायन को लेकर राज्य सरकारों की)
(योगेश पांडे)
उत्तराखंड पलायन एक गंभीर समस्या है, जिसे राज्य सरकारों ने इन 25 वर्षों में ठोस नीति के साथ हल करने में विफल रही हैं। इस समस्या के मूल में कई कारण हैं, जिनमें आजीविका की कमी, शैक्षिक संस्थानों की कमी, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, और जलवायु परिवर्तन के कारण खेती में नुकसान शामिल हैं ।
राज्य सरकार ने ग्रामीण विकास एवं पलायन रोकथाम आयोग का गठन किया है, लेकिन इसके बावजूद पलायन की समस्या बनी हुई है । आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 2018 से 2022 तक राज्य के विभिन्न हिस्सों, खासकर पहाड़ियों से कुल 3.3 लाख लोगों ने पलायन किया और लगभग 700 खाली घर हैं ।
सरकार ने होम स्टे योजना जैसी कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन ये योजनाएं पलायन को रोकने में प्रभावी नहीं हो पाई हैं । इसके अलावा, राज्य में शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी भी पलायन को बढ़ावा दे रही है ।
इस समस्या का समाधान करने के लिए राज्य सरकार को ठोस नीतियों के साथ काम करना होगा, जैसे कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करना, और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने के लिए कदम उठाना ।
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