


हर खबर पर नज़र
न सांसद न विधायक, हमें नहीं सरोकार,हर चुनाव का करेंगे बहिष्कार। ओखलकाडा ब्लाक भीमताल। भीमताल विधानसभा क्षेत्र खुजेठी,पतलिया,वलना, रौतेला कोट,जोसयूडा,चनेजर (भुमका) गांवों में निकले पर्वत प्रेरणा सांध्य दैनिक समाचार पत्र के संवाददाता योगेश पांडे पिछले अंक में इस गांव के सड़क की बदहाली की बात उठाई थी,,आपकी समस्या आपके द्वार,, समाचार पत्र के द्वारा चलाई मुहिम में हम खबर लगाने के बाद उसका असर भी जानेंगे। इसी क्रम में वहां के ग्रामीणों से मिलने पर वह अत्यंत खुश हुए ग्रामीण व स्थानीय नेता रमेश पडियार ने पर्वत प्रेरणा सांध्य दैनिक समाचार पत्र का धन्यवाद अदा किया कहा कि आपने हम ग्रामीणों की आवाज उठाई है










हम इसी पेपर को मोबाइल पर पढ़ते हैं। समस्या के बारे में जानने पर जब पूछा तो उन्होंने कहा समस्या वहीं है जो आप देख गये थे। सबसे बड़ी समस्या हमारी इस बदहाल सडक की है जिसमें चलना दूभर हो गया है। मात्र दो किलोमीटर का सफर बाइक से करने पर एक घंटा लग जाता है।उस पर दस जगह बाइक पैदल ले जानी पढ़ती है। वास्तव में सड़कों पर इतने बड़े गड्ढे पड़े हुए थे कोई गिर जाए तो निकलना मुश्किल। ग्रामीण कुन्दन सिंह ने कहा कि हमारे सांसद व विधायक तो इस गांव और हमें भूल ही गये हैं। बारह सालों से हम इस खस्ता हाल मार्ग से आवागमन कर रहे हैं।कयी बार शिकायत दर्ज करा चुके हैं लेकिन कोई नहीं सुनता न शासन न प्रशासन अब एक उम्मीद आपके समाचार पत्र से शेष है। युवा नीरज पडियार ने कहा हमने पहले भी लोकसभा चुनाव में सांकेतिक प्रदर्शन किया है।
अब हम पंचायत चुनाव का पूर्ण रुप से बहिष्कार करेंगे। वहां के ग्रामीणों ने एक सुर में नारा लगाया,,सड़क नहीं तो वोट नहीं,, समय बदलता रहा। उत्तराखंड में विकास की उम्मीद लगाए यहां के निवासी मतदान करते रहे।इस विषय और कठिन परिस्थितियों में जीवन यापन करने वालों की एक मात्र समस्या सड़क है बाकी बिजली, पानी, अस्पताल स्कूल आदि समस्या तो यह भूल ही चुके हैं। इनका कहना सर मुख्य तो सड़क है यह दुरस्त होगी तभी तो और कार्यों के बारे में सोचेंगे। अपनी समस्या आगे रखने वालों में रमेश पडियार, कुन्दन सिंह,मदन सिंह,खीम सिंह,युवा नेता धीरज पडियार, दीवान सिंह चौसाली, लछिमा देवी, (प्रधान कमला देवी) हीरा धौनी,माधवी देवी, पप्पू नेगी,देवकी देवी, शेर सिंह नगदली, चन्द्र मोहन आदि ग्रामीण थे। इन सब की आवाज,,रोड नहीं तो वोट नहीं,, हमारे समाचार पत्र द्वारा शासन प्रशासन तक पहुंचाना हमारी जिम्मेदारी है। इसलिए नहीं कि इन्होंने हमारा समाचार पत्र पढ़ने या हमें बुला कर बताया है यह हमारा फर्ज है कि हर समस्या को शासन प्रशासन तक पहुंचाएं। समाचार पत्र हो या न्यूज पोर्टल, वैबसाइट या चैनल सब अपनी जिम्मेदारियों को निभा रहे हैं।
लेकिन प्रश्न यह है कि मात्र तेरह जिले के उत्तराखंड में कुछ गांवों की इतनी बड़ी दुर्दशा हमारे नेताओं की मंशा को स्पष्ट रुप से दर्शा रही है कि नोट,शराब के बल पर चुनाव जीत बड़े शहर में कोठी बना कर बैठें है कि उनको उत्तराखंड के विकास व जनता से कितना प्यार है। सोचो इसी तरह हर गांव शहर चुनाव का बहिष्कार कर दे तो तब यह माननीय क्या करेंगे। प्रश्न बहुत हैं। जब तक यहां की समस्या खत्म नहीं होती,हम महीने दो महीने इस खबर को उजागर करतें रहेंगे।


