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( योगेश पांडे) बड़े बड़े कद्दावर लोगों का है वरदहस्त। हल्द्वानी कुमाऊं का एकमात्र प्रवेश द्वार होने के कारण यहां अच्छाई के साथ साथ बुराईयां भी आयी। जो हल्द्वानी के लोग कभी ताश के पत्ते पकड़ सीप दहल पकड़ खेल अपना मनोरंजन करते थे। आज वह आनलाइन सट्टा किंग की गिरफ्त में आ गये हैं। कुछ साल पहले पर्ची से खैला जाने वाला सट्टा राजपुरा से शुरू होकर आज हर मोबाइल में आन लाइन खेला जाता है। आखिर क्यों नहीं पकड़ती पुलिस इनको इस बारे में जब सीओ सिटी नितिन लोहनी से पूछा गया तो उन्होंने।
कहा अभी तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है। मोबाइल से सट्टा अगर खेला जा रहा है तो उसका लिंक मिलने पर कार्रवाई करी जाएगी।










तो सबसे महफूज है इस प्रकार सट्टे में रुपया लगाना। क्योंकि बिना मुखबिरी के अपराधियों को पकड़ पाना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर है ऊपर से साइबर क्राइम का मामला भी आता है। इसके लिए स्पेशलिस्ट बाहर से हायर किया जाता है शायद। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार पांच रुपए लगा कर मात्र तीन चार घंटों में नंबर लगने पर साढ़े चार सौ रुपए मिल जाते हैं व दस रुपए लगाने पर आठ सौ रुपए। आसनी से रुपए कमाने व बेरोजगारी का दंश झेल रहे युवा वर्ग से लेकर बुजुर्ग तक इन सट्टा किंग की पकड़ में है। एक जानवर बताते हैं कि इस धंधे के तार दिल्ली तक फैले हुए हैं। अक्सर इस सट्टा बाजार में बनते कम बर्बाद ज्यादा होते हैं। फिर भी नेटवर्क इतना तगड़ा व पक्का है एक गया तो दूसरा आया। यह कहावत यहां पर चरितार्थ हो रही है,,न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी,,न किसी रूप से इस सट्टे का लिंक मिलेगा न अपराधी पकड़े जाएंगे। मज़े से बिना खतरे का व्यापार है भाई।और रुपया एक नहीं लगाना धंधा शुरू करने में।


