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योगेश पांडे
हल्द्वानी l
महिला बेस अस्पताल मे लगे इस सूचना पट को देखकर लगता है कि आज से सब कुछ ठीक हो जायगा अब प्रसव पूर्व लिंग की जांच नहीं करी या कराई जायेगी क्योंकि इसमें सजा का प्रावधान भी लिखा है पांच वर्ष कैद व एक लाख रुपये जुर्माना है l और चिकित्सक के लिए पांच वर्ष की सजा व पचास हजार जुर्माना है l लेकिन समस्या यह नहीं है विकृत मानसिकता की है कमाल है एक औरत ही अपने भुर्ण की जाँच करवाती है l यदि वह ठान ले बेटी हो या बेटा जो होगा उसकी इस समाज को उतनी ही जरूरत है जितनी उसकी है l वह यह कैसे भूल जाती है कि वह भी कभी कन्या थी l समाज मे अगर कन्या, लड़की और औरत नहीं होगी तो समाज खुद ही पतन की ओर जायेगा बिन नारी बिन स्त्री के कोई यज्ञ पूर्ण नहीं हो सकते l हमारे सनातन धर्म मे विवाह की व्याख्या ही यज्ञ से है कयोंकि विवाह के बाद ही पुरुष यज्ञ, हवन आदि कर सकता है।
आज पहली समाज की बुराई कन्या को जन्म से पूर्व मारना, बडे़ होने पर उस पर शोषण, बलात्कार आदि अत्याचारों से उसे मारना यदि बच गयी तो शादी के बाद दहेज के लिए जलाना एक भयानक बीमारी के रुप में आदमी के दिमाग में रच बस गया है । हमें करना है खत्म तो इन विचारों को खत्म करना होगा।
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