


(स्टेशन चमका, कचरे के ढेर दिखने बन्द, सड़कें मुख्य सुधरी, दीवारों में रंग रोगन, जगह जगह एल ई डी, पर्वतीय संस्कृति के रंग देख चौंक गया मैं)










(योगेश पांडे)
चाहे कुछ भी कहो हालत कैसे भी हों, कोरोना काल हो या गम्भीर संक्रमण एक बार जो देवभूमि में आ गया वह बार बार आता है और उत्तराखंड को जाने का एक मात्र रास्ता और कुमाऊँ की जड़ हल्द्वानी की आज से दो हफ्ते पहले की स्थिति देख कर बाहर से आने वाले लोग यहाँ के स्थानीय लोगों के बारे में जो धारणा बना कर सोचते होंगे वह अच्छी नहीं होती होगी l
ऐसा ही वाक्य कल शाम रोडवेज स्टेशन के बाहर देखने को मिला जालन्धर से होते हुए जो गाड़ी हल्द्वानी आती है उसमें से एक पर्यटक उतरा और पैर जमीन पर रखते हुए बोले,,ओ माई गोड वियर आई जस्ट केम,, इसका मतलब था अरे यह में कहाँ आ गया प्रभु,, l
उत्सुकता वश हम उनके पास गए तो उन्होंने अपना नाम जैकलीन फरणाडिस् बताया वह बोले मैं हर साल उत्तराखंड भ्रमण पर आता हूँ लेकिन इस बार जो दिखा वह पहले कभी नहीं इतना साफ सुथरा शहर, जगह जगह एल ई डी चले हुए न कचड़े का ढेर, सड़कें दुरस्त, स्टेशन भी चमक रहा, हमने उन्हें बताया कि यहाँ राष्ट्रीय खेल का आयोजन हो रहा है यह सुन वह गम्भीर हो बोले वह तो ठीक है बहुत बड़िया है क्योंकी उस स्टेडियम को बनते और फिर घाँस उगते मैंने भी देखा था,उसकी बद हाली पर मैंने सोचा था कि भारत में धन की बर्बादी बहुत ज्यादा होती है l
अब खेलों का आयोजन हो रहा है तो देखो आपका शहर भी चमक गया और आर्थिक स्थिति भी ठीक होगी कितने बेरोजगार लोगों को चाय पकौड़े बेचने का अवसर मिल जायेगा l
बाहर से लोग खेल देखने आयेंगे तो होटल व्यवसाय भी चल जायेगा, टूरिस्ट सीजन भी चलेगा सब ठीक है l लेकिन मैं लगभग 2008 से उत्तराखंड आ रहा हूँ शहर तो आपका वही है लेकिन जैसा आज दिख रहा ऐसा पहले भी तो दिख सकता था या आपके वहाँ केवल कोई प्रोग्राम होने पर ही सजते सजाते हैं,, और हम अवाक् रह गए क्योंकि जो कुछ फरणाडिस् ने कह हमारे सिस्टम पर सटीक प्रहार किया कि ऐसा पहले क्यों नहीं हुआ और उत्सव में ही सजाया जायेगा l एक बात और पूछनी है आपसे मैंने यात्रा के दौरान समाचार सुने थे कि उत्तराखंड के दो विधायक एक दूसरे को गाली गलौच दे और फायरिंग कर रहे हैं इस प्रकार तो कभी सुना ने देखा उत्तराखंड तो शांत शहर हैं ऐसे नेता कहाँ से आये l हमने मारे शर्म के बात का रुख खेल की ओर मोड लिया l और उनके बार उत्तराखंड आने और यहाँ के कल्चर को अपनाने का धन्यवाद अदा कर आगे बड़ गए और यह सोचने पर मजबूर हो गए कि आखिर बहुत गहरी बात की उन्होंनें l हल्द्वानी शहर के तौर तरीके से समूचे उत्तराखंड की पहचान है यह हमें और शासन और प्रशासन को याद रख हमेशा इसी तरह से स्वच्छ और बेहतर रखना होगा इस शहर को यह प्रशासन के साथ हमारी भी जिम्मेदारी है कि नैतिकता के आधार पर अपने घर की तरह शहर को भी स्वच्छ रखें l और यह भी सोचना होगा हमारे माननीय नेताओं मन्त्री, विधायक को उनके इस व्यवहार से क्या संदेश जा रहा है हमारे उत्तराखंड का विदेशों में l

