


(योगेश पांडे)









आज हिमालय स्वराज सेवा समिति द्वारा आयोजित श्री बालकनाथ मंदिर ऊँचापुल में श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिवस पर श्रीमद्भागवत कथा में व्यास गिरीशानंद जोशी द्वारा कहा कि भगवान आपके श्रृंगार के भूखे नहीं आपके भाव के भूखे होते हैं lइसलिए भगवान के सामने वास्तविक रूप में आना चाहिए l भगवान राम ने दिव्य रूप बना कर आई सूर्पनखा को देखा तक नहीं अपना मुंह फेर लिया अपने चरित्र को इतना दृढ़ बनाएं कि भगवान को आपसे नजर या मुंह न फेरना पड़ें lक्योंकि वास्तविक सुंदरता चरित्र की होती है शरीर की नहीं l तन की सुंदरता का कोई महत्व नहीं है महत्व मन की सुंदरता का होता है l स्वामी विवेकानंद का किस्सा सुनाते हुए व्यास गिरीशानंद शास्त्री ने कहा कि एक बार स्वामी विदेश गए तो उनके वस्त्र देखकर एक अंग्रेज बोला स्वामी यह कैसा वेश बना रखा है ,हमारे कपड़े देखो और अपने तो स्वामी विवेकानंद ने सरल भाव से कहा आपका चरित्र आपका दर्जी बनाता है हमारा चरित्र हमारे संस्कार इसलिए हम चरित्र से महान होते हैं वस्त्रों से नहीं l,मन से यदि कोई प्रभु को पुकारता है तो भगवान आज भी दर्शन देते है बस भाव निस्वार्थ होना चाहिए।आज पूजन कार्य पंडित हेम सत्यबली, मनोज जोशी, पंकज पंत, रूपेश जोशी आदि विद्वानों द्वारा संपन्न करायी गई lसमिति कि ओर से कार्यकारी अध्यक्ष ममता रूवाली, कोषाध्यक्ष हेम पंत, मीडिया प्रभारी हर्ष वर्द्धन पांडे,,ट्र्स्ट के सलाहकार प्रकाश जोशी ,पारस रूवाली, भरत गुणवंत सहित बाबा बालकनाथ मंदिर कमेटी के पदाधिकारी और ऊँचापुल के भागवत प्रेमीजन उपस्थित रहे। यजमान रूप में मुख्य रूप से रेवाधर पाठक स्वप्तनिक, कमल जोशी स्वप्तनिक पूरन जोशी स्वप्तनिक, दया कृष्ण जोशी स्वप्तनिक रहे l
