


(दो नहरिया हल्द्वानी का है मामला जिस पिता की छत्रछाया में बेटी खुद को समझती है सुरक्षित उसी कलयुगी पिता ने लूटी अस्मत)










(योगेश पांडे)
हल्द्वानी धिक्कार है उस बाप पर और धिक्कार हमारे समाज पर जहां रिश्तों और नातों का कोई मोल ही नहीं रहा l कन्या जब जिस घर में पैदा होती है उसी दिन से वह दो कुल को बनाने वाली जननी होती है और जो बनाने की क्षमता रखे वह केवल जगत जननी जगदम्बा ही हो सकती है lपर क्या कहेंगे आप इस कन्या, इस नारी और इन रिश्तों के बारे में जो आए दिन नारी कन्या पर अपराध हो रहे हैं यदि किसी बाहरी व्यक्ति से बेटी को खतरा हो तो वह अपने पिता को बताती है पर यहां तो दो नहरिया हल्द्वानी में एक कलयुगी बाप ने अपनी ही नाबालिक बेटी की अस्मत लूट बाप बेटी के पवित्र रिश्तों को तार तार कर दिया l मामला कुछ इस प्रकार है कि दो नहरिया एक घर में माता हल्द्वानी में किसी अस्पताल में आया है और पिता गार्ड की ड्यूटी करता है घर में उसकी बेटी भी है l 24 तारीख की रात को कलयुगी पिता बाथरूम करने के बहाने उस कमरे का दरवाजा अपनी बेटी से खुलवाता है जिसमें उसकी नाबालिक बेटी सोई थी, क्योंकि उस कमरे में बाथरूम अटैच था और वह अपनी दुष्कर्मी बाप अपनी बेटी के साथ मुंह काला करता है lजब बेटी रोती हुई अपनी मां और अन्य परिजनों को अपने साथ हुई बाप द्वारा कि गई घटना को बताती है तो मां वह अन्य परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक जाती है l परिजन और मां अपनी बेटी के साथ हुए दुष्कर्म की शिकायत निकटवर्ती मुखानी थाने में दर्ज करवाते हैं l विवेचना एसआई रजनी के हाथों में आती है और विवेचक शीघ्र मामले की तह में जाकर अपराधी बाप को गिरफ्तार कर कल जेल भेज देती है lपुलिस अपराधी को रिमांड में लेने वह एक एक तथ्य की तह तक जाने के लिए अपराधी को रिमांड पर लेने की कोशिश कर रही है lअब सोचिए कि बेटी अब किसके हाथों में है सुरक्षित जहां बाप ही भक्षक हो तो और यह कोई पहला मामला नहीं है कहीं दादा है कहीं चाचा है कहीं भाई है इन बेटियों के लिए दरिंदा l सवाल यह है कि क्या इन अपराधों और अपराधियों के लिए कानून में संशोधन नही होना चाहिए l क्या इसी प्रकार गुपचुप तरीके में मां रूपी कन्या की अस्मत उसके ही घर में लूटी जाएगी l

