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(सत्यापन से बच रहे हैं आटो ई रिक्शा वाले, परिवहन् विभाग अपने ही आदेशों का नहीं करा पा रहा पालन)
कई वाहनों में अब तक नहीं लगे पीले_ नीले स्टिकर
(योगेश पांडे)

हल्द्वानी शहर में किस तरह कानून का पालन हो रहा है और कितने सुरक्षित हैं इन आटो और ई _ रिक्शा में चलने वाले यात्री यह तो इस बात से पता चल जाता है कि तीन हजार से अधिक आटो चालक व स्वामी व 1500 से अधिक ई_ रिक्शा चालकों स्वामियों ने अब तक अपना सत्यापन नहीं कराया है l
इनमें अधिकतर वाहन अपंजीकृत भी हैं l सोचिये न सत्यापन न वाहन पनजीकृत तो इन पर बैठ कर यात्रा करने का खामियाजा तो केवल यात्री ही भुगतेगा यदि कोई अप्रिय घटना हो जाती है l अगर कोई भी घटना हो न वाहन का पता चलेगा न चालक का इतना ही नहीं यह वह वाहन हैं जो दबंगई से सुबह से रात भर तक सड़कों पर दौड़ते हैं, इनमें दो अधिकतर वाहन चालक बाहरी क्षेत्रों से आये हुए लोग हैं l यही नहीं यदि इनसे बीच सड़क पर आटो या ई रिक्शा खड़ा करने को मना करे तो यह लोग लड़ने मरने पर भी उतारू रहते हैं इन्हें देखकर आम आदमी कितना सुरक्षित है हल्द्वानी शहर में इस बात का अंदाज़ा कोई भी आसानी से लगा सकता है l इतना सब कुछ होने पर भी जैसे परिवहन विभाग और पुलिस प्रशासन सो रहा है ऐसा प्रतीत हो रहा है l पुलिस और सीपीयू कर्मी का पूरा ध्यान दो पहिया वाहनों पर है क्योंकि यह आसानी से इनके चलानी कारवाई का हिस्सा बन जाते हैं, इनमें अधिकतर लोग कामकाजी होते हैं जो फालतू लफड़े में न पड़ अपना चलान कटवा लेते हैं और पुलिस प्रशासन का लक्ष्य पूरा हो जाता है और अधिकारी इन कर्मियों की पीठ थपथपा कर इति श्री कर लेते हैं l
वी के सिंह आर टीओ प्रशासन ने कहा कि हमने कई कैम्प लगाए और प्रतिदिन दो सौ से ढाई सौ वाहनों की सत्यापन करने की क्षमता रखी पर सत्यापन कराने केवल पचास से साठ लोग ही पहुँचते थे l फिर हमने आरटीओ आफिस में कैम्प लगाया वहाँ पर भी दस से बीस वाहन ही पहुंचे l अब भी तीन हजार से ज्यादा ई रिक्शाऔर 1400 से आटो का सत्यापन नहीं हो पाया है l न ही उनके चालक का पहचान एप से सत्यापन हुआ है l हमने जाँच तेज कर दी अब ऐसे वाहन सीज होंगे l
यह तो इनका कहना है पर हकीकत कुछ और है जो सड़क पर चलने और इन आटो वालों से जूझने पर आम आदमी को पता लगती है l
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