


(सरकारी योजनाओं का लाभ वास्तविक पात्र को न मिलना और लचर व्यवस्था)










(योगेश पांडे)
उत्तराखंड 9 नवंबर 2000 को एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया था। तब से अब तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री निम्नलिखित हैं:
- नित्यानंद स्वामी: 9 नवंबर 2000 – 29 अक्टूबर 2001
- भगत सिंह कोश्यारी: 30 अक्टूबर 2001 – 1 मार्च 2002
- एनडी तिवारी: 2 मार्च 2002 – 7 मार्च 2007
- बीसी खंडूरी: 8 मार्च 2007 – 23 जून 2009
- रमेश पोखरियाल निशंक: 24 जून 2009 – 10 सितंबर 2011
- भगत सिंह कोश्यारी: 10 सितंबर 2011 – 13 मार्च 2012
- विजय बहुगुणा: 13 मार्च 2012 – 31 जनवरी 2014
- हरीश रावत: 1 फरवरी 2014 – 27 मार्च 2016
- त्रिवेंद्र सिंह रावत: 27 मार्च 2017 – 10 मार्च 2021
- तीरथ सिंह रावत: 10 मार्च 2021 – 4 जुलाई 2021
- पुष्कर सिंह धामी: 4 जुलाई 2021 – वर्तमान
उत्तराखंड में पलायन एक बड़ी चुनौती है, जिसके कारण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, रोजगार के अवसरों का अभाव और कठिन भौगोलिक स्थितियां हैं।
पलायन रोकने के लिए राज्य सरकार ने कई योजनाएं लागू की हैं , जो बेहतर व्यवस्था के अभाव में वास्तविक लोगों को इस योजना का लाभ भी मिल पा रहा है l आज स्थिति यह है कि गांव के गांव खाली हैं l रही सही कसर सरकार के राजस्व पूर्ति की मंशा शराब की दुकानें खुलवाने ने पूरी कर दी जो गांव में रह भी रहे हैं वह नशे के गर्त में जा चुके हैं l बेहतर शिक्षा अच्छे स्वास्थ्य की लालसा लेकर जो भी शहर की ओर गांवों से गए वह फिर वापस नहीं आया l सरकार ने जिन योजनाओं को पलायन रोकने के लिए लागू किया वह इस प्रकार हैं l
जिनमें मुख्यतया ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का विकास और रोजगार के नए अवसर पैदा करना शामिल है। कुछ प्रयास निम्नलिखित हैं l
- ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का विकास:-
– सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और रोजगार के अवसरों में सुधार करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।
- *रोजगार के नए अवसर
– पैदा करना*,
: सरकार ने स्थानीय कृषि उत्पादों का विपणन, पर्यटन को बढ़ावा और छोटे उद्योगों का विकास करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।
– स्वरोजगार योजनाएं:
सरकार ने स्वरोजगार के लिए लोन और सब्सिडी की योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें बागवानी, जैविक खेती और सब्जी उत्पादन शामिल हैं।
– पलायन आयोग की सिफारिशें
: पलायन आयोग ने सुझाव दिया है कि रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का विकास कर गांवों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है।
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि भविष्य में कौन से मुख्यमंत्री पलायन रोकने के लिए और अधिक प्रभावी कदम उठाते हैं।

