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( आज बादलों के हटने के बाद तकनीकी सेटेलाइट से चित्र हो सकते हैं प्राप्त, दो सौ से अधिक मकान ध्वस्त और सेना के कैंप में भी नुकसान)
(योगेश पांडे)
उत्तरकाशी कुदरत की मार से आई आपदा या प्रकृति ने लिया अतिक्रमण का बदला कुछ भी हो पर थराली में खीर गंगा से आई तबाही ने प्राकृतिक संपदा सहित अनेकों के मकान और जाने तो ले ली। इस जलप्रलय की विभीषिका का आकलन देश भर के वैज्ञानिक सेटेलाइट से प्राप्त चित्रों से आकलन कर रहे हैं। ताकि स्पष्ट हो सके कि खीर गंगा के ऊपर श्रीकण्ठ पर्वत की चोटियों पर ऐसा क्या हुआ जो इतनी बड़ी तबाही आई। इसरो के नेशनल रिमोट सासिंग सेंटर से जारी चित्र हैदराबाद के कारटो सेटेलाइट से चित्र जारी किए हैं। इस सैटेलाइट से प्राप्त चित्रों का विश्लेषण उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के पूर्व निदेशक और वर्तमान एचएनबी गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय के भू विज्ञान के प्रमुख प्रो एमपीएस बिष्ट ने किया है। उनके द्वारा बताया गया कि ऊपरी क्षेत्रों में बादल के कारण स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है । लेकिन निचले क्षेत्र की तबाही पर स्थिति स्पष्ट है। जलप्रलय ने थराली के एक वर्ग किलोमीटर के भाग को अपनी चपेट में लिया है। इस क्षेत्र में मलवा भरा है। दो सौ से अधिक मकान ध्वस्त और सेना के कैंप को नुकसान हुआ है। अब आज बादलों के हटने के बाद ही सही चित्रों को जारी किया जा सकेगा।
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