

(बाजपुर के हरिपुरा हरसान क्षेत्र का इतिहास)











तराई में एक गाँव बसा है। चीन के फुनकोई परिवार का एक ऐसा अद्धभुत गाँव जहाँ बौद्ध और हिमालयी लोक संस्कृति व पंरपरा का संगम मिलता है। ब्रिटेन के दौर में चाय बगांन विकसित करने के लिए बुलाये गए चाय निज परिवार यहीं के हो गए l बाजपुर के हरिपुरा हरसान क्षेत्र के बारह एकड़ गाँव का इतिहास 1950 से जुडा़ हुआ है चीन के चार बौद्ध परिवारों का पहाड़ में पहुंचने का किस्सा 1935 के आसपास शुरू होता है l ब्रिटिश काल के दौरान अंग्रेज अधिकारियों ने कौसानी व नैनीताल के आसपास के क्षेत्रों में चाय बगांन विकसित करने के लिए चीन से बागवाँन बुलाये l तुक सैन, लुक सैन जिन व जिंग सैन को अंग्रेज सरकार ने कौसानी भेजा। फुनकोई परिवार के वंशज प्रेम चन्द्र सैन के अनुसार चारों परिवार वहाँ रुप चंद्र के घर में रहे। कौसानी के साथ कंधार, रीठा आदि क्षेत्रों में चाय बागान बनाए गए। स्वतन्त्रता के बाद भारत सरकार ने इन्हे बाजपुर में बसाने के लिए 12 एकड़ भूमि उपलब्ध कराई l 1950 में यह परिवार बाजपुर बसाये गए राज्यपाल अवार्ड से नवाजे गए शिक्षक धर्मेंद्र सिंह के अनुसार उस दौर में अधिकारी, कानूनगो, पटवारी आदि बोलचाल में बारह एकड़ नाम का जिक्र करते थे। यह नाम सरकारी दस्तावेजों में दर्ज हो गया। और आज तक प्रचलित है। ( हम ऐसे ही कुछ रोचक बातों को सत्यता से आपको बताने की कोशिश करेंगे, यदि कहीं कोई त्रुटि हो तो आप मेरे नम्बर 7300945951 पर संपर्क कर मुझे बताने की कृपा करेंगे) l

