


(27 फरवरी शहीद चंद्रशेखर आजाद का बलिदान दिवस)










(योगेश पांडे)
शहीद चंद्रशेखर आजाद को याद करते हुए हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में श्रदांजलि देकर सभा की गई। कार्यक्रम को क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, परिवर्तनकामी छात्र संगठन आदि ने संयुक्त रूप से आयोजित किया। सभा का संचालन क्रालोस के मुकेश भंडारी ने किया।
सभा में वक्ताओं ने कहा कि क्रांतिकारी शहीद चंद्रशेखर आजाद देश कि मेहनतकश जनता के सच्चे हिमायती थे। वे ब्रिटिश साम्राज्य सहित सामंती रजवाड़ों की अत्याचारी व्यवस्था के कट्टर दुश्मन थे। मेहनतकश जनता के लिए सच्चा प्रेम और उसके दुश्मनों के लिए कट्टर शत्रुता ने ही उन्हें क्रांतिकारी बनाया। और वे समाजवाद; जो कि मजदूर-मेहनतकश जनता का शासन है; कायम करने के मकसद से देश की आजादी के संघर्ष में कूद गए। इसके लिए संगठन के नाम ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ से बदलकर ‘हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ करने का फैसला लागू किया।
वक्ताओं ने आगे कहा कि देश की जनता अपने इस नायक को इसीलिए सच्चे दिल से प्यार करती है कि वे अपने संकल्पों पर अंत तक डटे रहे। उन्होंने संकल्प लिया कि ‘जिंदा रहते कभी ब्रिटिश शासन के हाथ नहीं पड़ेंगे’। इसके लिए उन्हें भेष बदलने पड़े, शहर-शहर भटकना पड़ा। वे प्रमुख संगठनकर्ता थे। वे अंतिम समय तक अपने साथियों की हर सम्भव मदद करने में लगे रहे। समाज के साथ ही वे अपने संगठन और साथियों के लिए हमेशा फिक्रमंद रहे।
वक्ताओं ने आज के हालातों में चंद्रशेखर आजाद की मजदूर-मेहनतकशों के राज समाजवाद की विचारधारा के महत्व पर बात की। देश की आजादी के बाद सरकारें मजदूरों-मेहनतकशों के बजाय पूंजीपतियों की सेवा में लगी रही हैं। वर्तमान की मोदी सरकार ने इस मामले में पूर्व की सरकारों की तुलना में सभी हदों को पार कर दिया है। बल्कि कई मामलों में देश के क्रांतिकारी शहीदों के अरमानों में कालिख पोतने में लगे हुए हैं। देश में धर्म के नाम पर अल्पसंख्यकों पर दमन मेहनतकशों की एकता को कमजोर करते हुए पूंजीपतियों की सेवा कर रहे हैं। मोदी सरकार के शासन में आज देश फासीवादी तानाशाही की ओर जाने का खतरा महसूस कर रहा है। ऐसे में क्रांतिकारियों का संदेश देश के सभी लोगों की बेहतरी के लिए मजदूरों-मेहनतकशों के राज समाजवाद के संघर्ष के लिए एकजुट होना होगा।
सभा के अंत में ‘एक हमारी एक है उनकी मुल्क में आवाजें दो’ गीत गाया गया। सभा में क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के मुकेश भंडारी, रियासत, रईस, परिवर्तनकामी छात्र संगठन के महेश, अनिशेख, चंदन, उमेश, हिमानी, रुपाली, विनोद शामिल रहे।

