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बीस फुट चौड़ी व पन्द्रह फुट लंबी सड़क बही है गौला नदी में। 30 मीटर के करीब हिस्सा तीन साल पहले भी बहा था। पांच वर्ष में पुल बना था 2008 में शुरु हुआ कार्य 2013 में हुआ खत्म। 11 वर्ष में दूसरी बार पुल की सड़क हुईं है क्षतिग्रस्त,तमाम तरह के उठ रहें हैं सवाल। आवागमन पूर्ण रूप से बंद, दोनों तरफ बैरिकेड लगाए,19 अक्टूबर 2021 को भी टूटा था यही संपर्क मार्ग। जिसके बाद नौ करोड़ रुपए खर्च कर वुडहिल कंपनी से कराई थी मरम्मत। ,, गजब हाल,, कुल 2.74 करोड़ रुपए से बनने वाले पुल को 38.26 करोड़ रुपए फूंककर भी खड़ा नहीं कर सके। जिम्मेदार कौन। अब बैठक और निर्देश देने में जुटे अधिकारी और जनप्रतिनिधि। पुल से संपर्क मार्ग टूटने पर सांसद अजय भट्ट मौके पर पहुंचे और अधिकारियों को जलस्तर कम होते ही एन एच आई, प्रशासन,वन विभाग और सिंचाई विभाग को समन्वय बनाकर तेजी से मरम्मत करने के निर्देश दिए। वहीं जिलाधिकारी वंदना सिंह ने भी देर शाम एन एच, लोनिवि, सिंचाई विभाग, रेलवे और वन विभाग के अधिकारियों की बैठक लेते हुए जलस्तर कम होते ही कार्य शुरू करने का निर्देश दिया।कहा चैनेलाइजेशन मशीनों को उतारें कार्य में। क्या कारण है बार बार पुल गिरने का आरटीआइ कार्यकर्ता रवि जोशी ने बताया,,पुल की सुरक्षा को लेकर अधिकारी गंभीर नहीं है। अवैध खनन की वजह से पूर्व में भी इसे खतरा पैदा हुआ था। समिति की रिपोर्ट में यह बात सामने आ गई है। माजरा और हालात देखिए पर्वत प्रेरणा सांध्य दैनिक समाचार के संवाददाता जब पुल और आसपास का हाल जानने निकले तो कुछ लोग इस टूटी हुई सड़क से लोगों की परेशानी को न समझ राजनीति करने में लगें थे । उन लोगों के लिए यह बातें सिर्फ वोट बैंक हैं।












