

हर खबर पर नज़र

राज्य ओलंपिक में शहर के दो युवकों ने साधन न होने के बाद भी दिखाया हौसला। हल्द्वानी, कहते हैं कि न कि जब मन में ठान लो तो रास्ते खुद ही बन जाते हैं।ये पंक्तियां राज्य ओलंपिक में भाग लेने वाले शहर के दो साइकिलिस्टों पर सही बैठती है। शहर के हुनरमंद खिलाड़ी मोहित साहू भले ही चौदह वर्ष का हो पर खेल में बहुत आगे निकल गया है।वह प्रदेश की हाकी,खो खो,एथलीट,आदि बड़ी प्रतियोगिताओं में भाग ले चुका है। मोहित ने बताया कि भले ही मेरे पास संसाधनों की कमी है,पर हौसलों की नहीं। एक बार साइकिल की चैन उतरने से मैं रेस हार गया था।तब से मैंने पदक जीतने का अपने आप से वादा किया और इस जनून को पूरा करने के लिए कबाड़ से साइकिल खरीदी, साइकिल का काम जानने के कारण खुद अपनी साइकिल को मोटिफाई कर रोड साइकिलिंग में यूथ केटेगरी में भाग लिया और कांस्य पदक जीत लिया। खुद से किया वादा किया पूरा। वहीं दूसरे मुकेश कश्यप वैसे तो तैराकी करते हैं लेकिन पहली बार दोस्त से साइकिल मांग प्रतियोगिता में हाथ आजमाया।शत प्रतिशत रिजल्ट देने के बाद भी पदक नहीं मिलने से थोड़ी निराशा जरुर हुई लेकिन हताशा नही।अब मैं तैराकी प्रतियोगिता में भाग लूंगा और पदक लाकर परिवार से किया वादा करुंगा पूरा। मुकेश ने बताया कि उसके पिता पेंटिंग का कार्य करते हैं। इसलिए नयी साइकिल लेना मुमकिन नहीं था। हमारी सरकार और सरकार के नुमाइंदे बातें तो बड़ी बड़ी करतीं हैं।पर क्या उन्होंने कभी इन छिपी प्रतिभाओं पर ध्यान दिया।एक मात्र हल्द्वानी में बना स्टेडियम भी अब अंतराष्ट्रीय का तमगा खोने वाला है। कारण लापरवाही व भ्रष्टाचार है।जीरो टॉलरेंस तो कागजों में है साहब।












