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हल्द्वानी। सुशीला तिवारी अस्पताल में इनफार्मेशन सिस्टम लगाने की सुध किसी ने नहीं ली, वर्ष 2015 में बेस अस्पताल में तीन करोड़ रुपए की ऐसी मशीन खरीद ली गई,जिसका इस्तेमाल नौ साल बाद अब तक नहीं हो सका। लिथोट्रिप्सी मशीन,यानी पथरी के इलाज में प्रयोग होने वाली मशीन को ही पथरी हो गई, जबकि अस्पताल में एक वर्ष से यूरोलॉजिस्ट भी तैनात हैं, लेकिन प्रबंधन अस्पताल का दावा है कि मशीन पुरानी हो चुकी है अब इससे भी अधिक आधुनिक तरीके से पथरी का इलाज किया जा रहा है। यह है सिस्टम। बनाने वाले और कराने वालों का। यही हाल आईसीयू मशीनों का भी है। प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक के के पांडे ने कहा कि मैंने सुना था कि पहले थोड़ा बहुत इस्तेमाल इस मशीन का हुआ था। सर्जन पहले इसका उपयोग करते थे।इस मशीन से पथरी को अंदर से तोड़ देते थे या फिर उन्हें निकालना पड़ता था। बाद में इस मशीन का प्रयोग हुआ होगा मुझे नहीं लगता।तब यूरोलॉजिस्ट नहीं थे।अब यूरोलॉजिस्ट हैं तो इससे बेहतर तकनीक परकयूटेनियस नेफ्रोलिथोटामी(पीसीएन एल) के जरिए पथरी का इलाज किया जा रहा है। वहीं लोगों ने अस्पताल प्रबंधन पर कार्रवाई होनी चाहिए बात कही उनके अनुसार तीन करोड़ रुपए की मशीन बर्बाद करना मामूली बात नहीं है।












