


(स्टेशन छोड़ किनारे आया काठगोदाम की शोभा बढ़ाने वाला भाप का इंजन) l










(योगेश पांडे)
हल्द्वानी समय बदलता है वस्तुएँ भी बदलती हैं इसी प्रकार कभी कुमाऊँ की शान रहे, कुमाऊँ टाइगर,, भाप से बने इस इंजन का नाम है,, कुमाऊँ टाइगर,, l रेलवे ने सन् 1886 में बने इस इंजन को अब धरोहर के रूप में संजोया है l यह भाप का इंजन 19 वीं सदी में कुमाऊँ मण्डल के लोगों को काठगोदाम से लखन ऊँ लाने ले जाने का काम करता था l कुमाऊँ की शान कहे जाने वाले इस इंजन,, कुमाऊँ टाइगर, के अब सड़क में दर्शन होंगे lकाठगोदाम रेलवे स्टेशन के अधीक्षक दुर्गा सिंह बोरा का कहना है कि 19 वीं सदी में कुमाऊँ के लोगों को दूर दूर तक लाने ले जाने वाला,, कुमाऊँ टाइगर,, वर्ष 2016 में काठगोदाम रेलवे स्टेशन पर लाया गया था l स्टेशन पर प्रदर्शन के लिए लगाए गए इस भाप के इंजन का नाम ,, कुमाऊँ टाइगर,, इसलिए रखा था कि यह काठगोदाम की चढ़ाई में भी बोगियों को खींचकर ले जाता था l उन्होंने बताया कि इससे पूर्व इस इंजन को पूर्वोत्तर रेलवे इज्जत नगर मण्डल कार्यालय के बाहर प्रदर्शन के लिए लगाया गया था l यह वहाँ आठ वर्षों तक रहा l अब इस इंजन को काठगोदाम रेलवे स्टेशन को जाने वाली सड़क के किनारा रख दिया गया है l

