

(हाई कोर्ट के आदेश का उड़ाया सिस्टम ने मखौल)











लापरवाही की बलि चड़ी वहाँ की जनता और प्रसूता महिला सेवानिवृत प्रधानाचार्य को जाना पड़ा कोर्ट
(योगेश पांडे)
प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं को चुस्त दुरुस्त करने के तमाम दावों के बावजूद प्रदेश के डबल इंजन सरकार में स्वास्थ्य सेवाओं का स्टार सुधराने के बजाय दिनों दिन बदतर होता जा रहा है l
हल्दूचौड़ का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इसका जीता जागता उदाहरण है स्वास्थ्य केंद्र की दशा सुधारने को लेकर सेवानिवृत प्रधानाचार्य को न्यायालय तक का दरवाजा खटखटाना पड़ा न्यायालय द्वारा इस मामले में राज्य सरकार को आदेशित किए जाने के बाद भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्थाओं में सुधार आता नहीं दिखाई दे रहा हैl
यहां बता दें कि सन 2014 में क्षेत्र की जनता को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराए जाने के उद्देश्य से तत्कालीन विधायक हरिश्चंद्र दुर्गापाल के कार्यकाल में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना के प्रस्ताव को मंजूरी मिली और जनवरी 2023 से केंद्र का संचालन आरंभ कर दिया गया 30 बेड के इस केंद्र में चिकित्सकों के के चार पदों पर चिकित्सक नियुक्त हैं l
लेकिन फिजिशियन के न होने से मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों के धक्के खाने को मजबूर होना पड़ता है l इसके अलावा एक्स-रे अल्ट्रासाउंड के लिए भी मरीजों को दूसरे अस्पतालों का मुंह ताकना पड़ता है हल्द्वचौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के दायरे में आसपास के क्षेत्र की दो लाख से अधिक आबादी आती है जब स्वास्थ्य केंद्र को स्वीकृत मिली तो जनता को लगा कि अब उन्हें इलाज के लिए हल्द्वानी, लाल कुआं दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी l
लेकिन क्षेत्र वासियों के सपने सामुदायिक केंद्र की शुरुआत के साथ ही धूल दृशित हो गए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की दशा सुधारने को लेकर स्वास्थ्य विभाग से सेवानिवृत प्रधानाचार्य गोविंद वल्लभ भट्ट को हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी l और वह हर तारीख में यही आशा लगाते हैं कि कुछ तो सुधार होगा आम जनता की अस्पताल में व्यवस्था न होने की समस्या से । क्षेत्र की जनता को रियायती दरो पर स्वास्थ्य सेवाएं कब तक मुहैया हो पाएंगे कुछ कहा नहीं जा सकता है l

