

(मानवी संवेदना खत्म होने का ऐसा वाक्या फिर न देखने को मिले निलबन छोटी कारवाई)











(योगेश पांडे)
हल्द्वानी न तो यह किसी फिल्म की स्टोरी है न किसी कहानी का अंश है यह जीती जागती घटना ही जहाँ एक बाप अपने सड़क हादसे में मारे गए बेटे को न्याय दिलाने के लिए पिछले दस माह से भटक रहे थे आखिर कोर्ट की शरण में जाने के बाद संवेदन हीन पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया l लेकिन पुलिस कप्तान पी एस मीना ने टीपी नगर पुलिस चौकी के दरोगा राजेंद्र मेहरा को निलंबित कर यह दिखा दिया अपराध चाहे पुलिस ने ही क्यों न किया हो बर्दाश्त नहीं l हालांकि कप्तान ने अपने अधिकारों का पूर्ण प्रयोग किया पर क्या यह सजा उस अधिकारी के लिए काफी होगी जिसकी संवेदनाएं ही मर गई हो l निलबंन् की कारवाई के बाद फरियादी पिता दिलीप सिंह अधिकारी ने कोतवाली में दी तहरीर में लिखा है कि वह बाराकोट चम्पावत रैन गाँव के निवासी हैं हल्द्वानी में अपने पुत्र नाती पोतों के साथ कमरा किराये पर लेकर रहते हैं l उनका पुत्र सूरज सिंह अधिकारी पेशे से चालक था l 14 अप्रैल की सुबह सूरज स्कूटी से अपने कमरे की ओर आ रहा था तभी सुशीला तिवारी अस्पताल के पास एक तेज रफ्तार स्कूटी ने सूरज को टक्कर मार दी जिसमें सूरज बुरी तरह घायल हो गया l उसे सुशीला तिवारी अस्पताल में भर्ती कराया गया जहाँ 17 अप्रैल को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई l सूरज की एक मासूम बेटी भी है तब से लेकर वह अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए चक्कर काट रहे हैं लेकिन रिपोर्ट लिख कर जाँच करने के बजाय उन्हे लटकाया गया मामला कभी कोतवाली का बताया गया कभी उन्हें मुखानी थाने में भेजा गया यहाँ तक की उन्होंने कई पुलिस अधिकारी के पाँव भी पकड़े पर किसी ने नहीं सुनी l बेबस पिता ने तीन अगस्त को डाक द्धारा तहरीर दी लेकिन पुलिस की संवेदना नहीं जागी l इस मामले को लेकर उन्होंने एस एस पी कार्यालय को14 अगस्त को शिकायती पत्र भेजा लेकिन इस पर भी कोई कारवाई ने होती देख अपने पुत्र को न्याय दिलाने के लिए कोर्ट की शरण ली एसी जे एम मजिस्ट्रेट हल्द्वानी के आदेश पर पुलिस ने रोहित उर्फ राजेश अधिकारी निवासी आनंद बाग तल्ला गोरखपुर हल्द्वानी के खिलाफ लापरवाही से वाहन चलाने का मुकदमा दर्ज किया l इस बेबस पिता पर अपने पुत्र को खोने के बाद इन लम्बे समय में जो बीती होगी वह अब किसी और पर न बीते इस घटना को संज्ञान में ले पुलिस कप्तान ने टी पी नगर पुलिस दारोगा को भले ही निलम्बित कर दिया हो पर क्या यह उस पिता को न्याय दिला पायेगी जिसका जवान बेटा सड़क हादसे में मारा गया और मजबूर पिता मात्र रिपोर्ट लिखाने के लिए दर दर भटका हो l ऐसी संवेदनहीनता के लिए भी कानून होना चाहिए या नहीं l

