


( वार्षिक शुल्क को लेकर स्कूल संचालकों और अभिवाहकों में नित्य खीचातानी)










(योगेश पांडे)
हल्द्वानी l हल्द्वानी में हर वर्ष खुल रहे नये स्कूलों पर अगर गौर से नजर डालें तो सरकारी सिस्टम की लापरवाही या इनके उपर आशीर्वाद साफ साफ नजर आयेगा l कोई भी स्कूल उस सरकारी नियमों के अंतर्गत खरा नही उतरेगा l पर यहाँ तो यह कहावत लागू हो की जायेगी,,टका शेर राजा ,टका शेर खाजा स्कूलों पर l सरकारी मशीनरी पर यह कहावत ,अंधा बांटे रेवड़ी, फिर फिर अपने को दे l हाल यह है कि शिक्षा विभागों के नियमों को दरकिनार कर निजी विद्यालय अपने यहाँ पड़ रहे विधार्थीयों से हर साल वार्षिक, मेंटिनेंन्स और प्रशासनिक शुल्क आदि के नाम पर फीस ले रहे हैं l अभिवाहकों पर इन सब का अनावश्यक बोझ डालने से अभिवाहक परेशान हैं l
और हर रोज स्कूलों पर इन सब बातों के लिए बहस इत्यादि देखने को मिल रही है l बता दें अपने एक आदेश के चलते शिक्षा विभाग ने नया सत्र प्रारम्भ होने से पहले स्कूलों को शुल्क का विवरण सार्वजनिक करने के आदेश दिये थे l
दो सप्ताह से उपर का समय हो चला अभी तक कुछ ही स्कूलों ने सत्र 2025-26 का विवरण बेबसाइट पर जारी किया है l इतनी सफाई से शुल्क वसूलने का विवरण दर्ज किया है कि आप सोचेंगे क्या सही है क्या गलत किसी स्कूल ने अपने स्ट्रकचर में शिक्षा के अतिरिक्त अन्य शुल्कों का भी उल्लेख किया है l कुछ ने नर्सरी से इंटर तक अलग अलग वार्षिक व गतिविधि फीस निर्धारित की है l कुछ ने स्पष्ट रूप से वार्षिक फीस को बेबसाइट पर दर्शाया है l यह शुल्क 2200 रुपये से 20,000 तक लिया जाना स्कूलों ने तय किया है l
यह फीस पूर्व से पड़ रहे बच्चों की कक्षा बदलने पर नए सत्र में ली जाती है l
कुछ स्कूलों ने 1200 रुपये शुल्क भी दर्शाया है l हल्द्वानी में अधिकांश स्कूलों ने दस प्रतिशत तक फीस बड़ाकर शिक्षा विभाग के उस आदेश को ठेंगा दिखा दिया जिसमें उल्लेख है कि फीस गाइड लाइन के तहत ही निर्धारित की जायेगी l
किस कदर हावी हैं प्राइवेट स्कूल सरकारी तन्त्र पर यह इस बात से स्पष्ट है कि निजी स्कूल री एडमिशन के नाम पर शुल्क वसूल करते थे l इस बात पर जब अभिवाहकों ने हो हल्ला किया व शिकायतें दर्ज करवाई तो विभाग ने इन पर सख्ती बरती l लेकिन स्कूलों ने उसे अब वार्षिक शुल्क का नाम दे दिया और खुलेआम मनमानी कर रहे हैं l
खण्ड शिक्षा अधिकारी तारा सिंह ने बताया कि , प्रवेश के दौरान स्कूल हर साल बच्चे से वार्षिक शुल्क नही ले सकते हैं l यह नियमों के विरुद्ध है l इसको लेकर प्राइवेट स्कूलों को निर्देश भी जारी किये हैं जल्द ही इस पर कार्यशाला गठित की जायेगी सभी को समझाया जायेगा l

