


(योगेश पांडे)










प्रदेश की राज्य सरकार ने 2025 के अंत तक उत्तराखंड को अग्रणी राज्य बनाने का संकल्प तो ले लिया, लेकिन राज्य की 9 नदियों में बढ़ता प्रदूषण का स्तर उसके इस संकल्प पर ग्रहण लगाते नजर आ रहा है। 2022 में केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की राज्य की नौ नदियों पर जारी रिपोर्ट में बोर्ड ने उत्तराखंड की इन नदियों को सर्वाधिक प्रदूषित नदी खंडों में शामिल किया है। देहरादून के रायवाला के पास बहने वाली सुसवा नदी को सबसे प्रदूषित नदी के रूप में आकi गया है, जिसमें उस दौरान बो ओ डी का स्तर 37.0 प्रति लीटर आंका गया था। ऐसे मे राज्य सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती यह है कि वह अपनी नदियों को प्रदूषण मुक्त कैसे बनाए। विशेष रूप से गंगा और यमुना नदी के उद्गम स्थल होने के कारण, उत्तराखंड में नौ नदियां देश की सबसे प्रदूषित नदियों में शामिल हैं।2022 में जारी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड की नौ नदियों के नदी खंड प्रदूषण के मामले में गंभीर स्थिति में हैं। मानकों के अनुरूप बीओडी (बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड) का स्तर अधिक होने पर नदी को प्रदूषित माना जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, सुसवा नदी, जो रायवाला के पास बहती है, उसमें बीओडी का स्तर 37.0 प्रति लीटर पाया गया है, जो प्रदूषण मुक्त नदी के लिए एक मिलीग्राम से कम होना चाहिए।अन्यप्रदूषित नदियां में . ढेला (काशीपुर से गरुवाला): 12-80. भेला (काशीपुर से राजपुरा तंदा): 6.0 से 76.0. किच्छा: 28.0. कल्याणी (डीएस पंतनगर): 16.0. गंगा (हरिद्वार से सुल्तानपुर): 6.6 कोसी (सुल्तानपुर से पट्टीकलां): 6.4. नंदौर (सितारगंज के साथ): 5.6-8.0. पिलखर (रुद्रपुर के पास): 10.0ऐसे में 2025 के अंत तक उत्तराखंड को प्रदूषण मुक्त बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए जहां राज्य सरकार को कई तरह की योजनाओं और नीतियों को अपनाने की जरूरत होगी। वही अतिरिक्त उपायों के अलावा, नदियों की स्वच्छता के लिए स्थानीय स्तर पर एक विशेष नीति बनानी होगी तभी राज्य सरकार के अग्रणी राज्य का सपना साकार हो सकता है।

