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(राष्ट्रीय ग्रामीण मिशन द्वारा गठित,,
शिवम सहायता समूह,, की कहानी)
(योगेश पांडे)l
आइए मिलवाते हैं आपको रामनगर के छोटे से गाँव उदपुरी चोपड़ा में रहने वाली राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा गठित “शिवम स्वयं सहायता समूह” की सदस्य “पुष्पा देवी” से…. /
इनकी जिंदगी कभी संघर्षों से भरी थी, लेकिन आज वह अपने हौसले के बल पर एक नया भविष्य बुन रही हैं। पति के अचानक निधन के बाद जब जीवन कठिनाइयों से घिर गया, लेकिन उन्होंने हार मानने की बजाय आत्मनिर्भर बनने की राह चुनी।एक वक्त था जब परिवार चलाने के लिए वह कभी मंदिर में खाना बनातीं तो कभी दिहाड़ी मजदूरी करतीं। दो छोटे बच्चों की जिम्मेदारी और सीमित आमदनी के कारण शिक्षा और बुनियादी जरूरतें भी किसी चुनौती से कम नहीं थीं। लेकिन उन्होंने ठान लिया कि अपनी मेहनत और इच्छाशक्ति के दम पर कुछ अलग करेंगी।
पुष्पा देवी की यह राह आसान नहीं थी, लेकिन सरकार की ग्रामोत्थान परियोजना की व्यक्तिगत उद्यम गतिविधि के अंतर्गत उन्होंने 30,000 रुपये की आर्थिक सहायता प्राप्त की साथ ही 50000 रुपये बैंक ऋण लिया और अपने सपनों की बुनाई शुरू की— एक बुटीक खोलकर ।
आज, पुष्पा देवी की मासिक आय लगभग 10,000 – 15,000 रुपये तक पहुँच चुकी है। उनकी पहचान एक उद्यमी के रूप में बनी है, जिससे उनका आत्मविश्वास और भी बढ़ गया है। अब वह अपने बुटीक को और विस्तार देना चाहती हैं और रेडीमेड गारमेंट्स का कारोबार शुरू करने की योजना बना रही हैं।
पुष्पा देवी की यह कहानी साबित करती है कि अगर मेहनत, हौसला और सही मार्गदर्शन मिले, तो कोई भी महिला आत्मनिर्भर बन सकती है। ‘ग्रामोत्थान’ परियोजना ने न केवल उन्हें आर्थिक मजबूती दी, बल्कि उनके सपनों को भी नई उड़ान दी। आज वह न सिर्फ अपने बच्चों के बेहतर भविष्य की ओर बढ़ रही हैं, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन चुकी हैं।
संघर्ष से सफलता तक का यह सफर बताता है कि हालात चाहे कितने भी मुश्किल क्यों न हों, हौसले की सुई और मेहनत के धागे से जिंदगी को नए रंगों से बुना जा सकता है।
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