


- भाकपा माले की स्थापना की 56वीं सालगिरह और महान क्रांतिकारी लेनिन के जन्म की 155वीं सालगिरह मनाई गई l
(फासीवादी हमले के दौर में लोकतंत्र की लड़ाई में और ज़्यादा एकता, ताक़त और दृढ़ संकल्प की ज़रूरत )










भाकपा(माले) को और बड़ी, ज्यादा मज़बूत, ज्यादा जोशीली पार्टी बनाने के लिए जुटने का संकल्प लिया
(योगेश पांडे)
22 अप्रैल को भाकपा माले की स्थापना की 56वीं सालगिरह और कॉमरेड लेनिन के जन्म की 155वीं सालगिरह दीपक बोस भवन कार रोड बिंदुखत्ता में मनाई गई।
कार्यक्रम की शुरुआत अपने सभी महान शहीदों और स्मृति शेष नेताओं को श्रद्धांजलि और लाल सलाम के साथ हुई।
साम्राज्यवाद की पराजय और समाजवाद की स्थापना के कॉमरेड लेनिन के निर्णायक आह्वान को पूरा करने का दृढ़ संकल्प दोहराया गया। भाकपा माले जिंदाबाद, इंकलाब जिंदाबाद, फासीवाद मुर्दाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद,लोकतंत्र ज़िंदाबाद, समाजवाद ज़िंदाबाद के नारों के साथ भाकपा(माले) को और बड़ी, ज्यादा मज़बूत, ज्यादा जोशीली पार्टी बनाने के लिए जुटने का संकल्प लिया गया l
भाकपा माले नैनीताल जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने कहा कि, तीसरी बार सत्ता में आई मोदी सरकार ने फासीवादी हमलों को और तेज कर दिया है। फासीवादी हमले दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं, इसलिए लोकतंत्र की लड़ाई में हमें और ज़्यादा एकता, ताक़त और दृढ़ संकल्प की ज़रूरत है। एक क्रांतिकारी कम्युनिस्ट पार्टी होने के नाते हमें इस लड़ाई में अगली कतार में रहकर नेतृत्व करना होगा। इसके लिए ज़रूरी है कि हम जनता से अपने रिश्ते और गहरे करें और उनके जीवन, रोज़ी-रोटी और आज़ादी से जुड़े हर मुद्दे को पूरे दमखम से उठाएं। हमें एक बड़े, ज्यादा जीवंत और गतिशील पार्टी संगठन की ज़रूरत है।
माले नेता ने कहा कि, आज जब भारतीय पूंजीपति वर्ग के वर्चस्वशाली हिस्से फासीवादी प्रोजेक्ट के इर्द-गिर्द जमा हो रहे हैं, तो जनता के लोकतंत्र और राष्ट्रीय तरक़्क़ी का परचम उठा कर मेहनतकश जनता को आगे आकर फासीवादी और साम्राज्यवादी शिकंजे से मुक्ति दिलानी होगी।
भारत के उपनिवेशवादविरोधी और सामंतवादविरोधी जन-संघर्षों की क्रांतिकारी विरासत का वारिस होने के नाते आज क्रांतिकारी कम्युनिस्टों को लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के फासीवाद-विरोधी जनउभार में सबसे मज़बूत ताक़त बनकर उभरना होगा।
उन्होंने कहा कि, इस सरकार ने वक्फ संशोधन कानून और यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे कानूनों को पारित करा लिया है, जो सीधे मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाते हैं।
इसके साथ ही आदिवासियों और छत्तीसगढ़ में तथाकथित माओवादियों पर एक बर्बर जंग छेड़ दी गई है— यह कहते हुए कि मार्च 2026 तक भारत को “नक्सल-मुक्त” बना दिया जाएगा।
किसान महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी ने कहा कि, मोदी सरकार वापस लिए गए कॉरपोरेट परस्त कृषि कानूनों को अब पीछे के दरवाज़े से नयी कृषि विपणन नीति के नाम पर फिर से लागू करने की कोशिश कर रही है।
मौजूदा सभी श्रम क़ानूनों को चार लेबर कोड से बदलने की तैयारी है, जो भारत के मेहनतकश तबके के संघर्षों से हासिल अधिकारों को समाप्त कर देंगे। सूचना का अधिकार क़ानून में ऐसे बदलाव किए जा रहे हैं जिससे नागरिकों का पारदर्शिता और जवाबदेही मांगने का हक़ छीना जा सके ताकि सरकार को मनमानी, भ्रष्टाचार और सत्ता के दुरुपयोग की खुली छूट मिल सके।
महिला संगठन ऐपवा संयोजक विमला रौथाण ने कहा कि, इस सरकार के कार्यकाल में महिलाओं पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं, इसी तरह कैंपस लोकतंत्र और शैक्षणिक आज़ादी पर नए सिरे से हमले हो रहे हैं ताकि असहमति और बहस की गुंजाइश को खत्म किया जा सके और कट्टरता, नफ़रत व अंधविश्वास को बढ़ावा दिया जा सके। इसका मक़सद भारत के विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों को सांस्कृतिक नियंत्रण और विचारधारा थोपने की प्रयोगशालाओं में बदल देना है। साथ ही, नफ़रत से भरी फ़िल्मों और दूसरे प्रचार माध्यमों के ज़रिए उकसाई गई हिंदुत्व भीड़ अब सड़कों पर उपद्रव कर रही है— जो हर दिन मुसलमानों, औरतों और दलित-बहुजनों के ख़िलाफ़ हिंसा फैला रही है।
बुद्धिजीवी और स्वतंत्र पत्रकार शोभना ने कहा कि, मोदी भले ही ट्रंप से अपनी “ख़ास दोस्ती” का दावा करते हों, और ग़ाज़ा में फिलिस्तीनियों के जारी जनसंहार में ट्रंप-नेतन्याहू की जोड़ी के साथ मिले हुए हों, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने भारत के साथ सबसे अपमानजनक व्यवहार किया है और मोदी सरकार अमेरिका की ज़बरदस्ती और धमकियों के सामने चुपचाप झुकती जा रही है। आज़ाद भारत की किसी भी पिछली सरकार ने देश के सम्मान और रणनीतिक हितों को मोदी सरकार जितना नुकसान नहीं पहुंचाया. उधर, संसद के अंदर अमित शाह अंबेडकर पर अपमानजनक टिप्पणी करते हैं, और मोहन भागवत अयोध्या में बने राम मंदिर को भारत की “असली आज़ादी” का प्रतीक बताकर हमारे आज़ादी के आंदोलन की पूरी विरासत को ही नकार रहे हैं।
स्थापना दिवस कार्यक्रम में मुख्य रूप से डा कैलाश पाण्डेय, बहादुर सिंह जंगी, विमला रौथाण, भुवन जोशी, आनंद सिंह सिजवाली, शोभना, कमलेश मेहता, पुष्कर दुबड़िया, गोविन्द सिंह जीना, किशन सिंह बघरी, स्वरूप सिंह दानू, धीरज कुमार, बिशन दत्त जोशी, चंद्रशेखर भट्ट, प्रकाश फुलोरिया, त्रिलोक राम, मोहन लाल आर्य, ललित जोशी, अंबा दत्त बचखेती आदि मुख्य रूप से शामिल रहे l

