


(विकास के नाम पर कागजों का पेट तो भर दिया, पर हकीकत दर्द बयां कर रही है उत्तराखंड की देव भूमि का)










विकास के नाम पर इन पच्चीस सालों में जहां अस्पताल और स्कूल होने चाहिए थे या मौलिक सुख सुविधा ,वहां वाइन शॉप और बार खोल दिए
(योगेश पांडे)
अल्मोड़ा l अल्मोड़ा जिले के अंतर्गत आने वाला एक जगह का नाम भनौली ग्राम कसेडमनिया _नौहलिया के क्षेत्र के लोगों ने हमारे वहां के भ्रमण पर जो बातें बताई उन बातों से माननीयों की लापरवाही व वहां के लोगों और उत्तराखंड की शान पहाड़ों का दर्द कुछ इस तरह बयां कर रही हैं l
लोगों ने बताया कि हमारे क्षेत्र के अधिकांश युवा सेना में भर्ती हो देश की सेवा कर रहे हैं l और शेष युवा और वयस्क सुविधाओं के अभाव व रोजी रोजगार के साधन न होने के कारण यहां से दिल्ली गुजरात चंडीगढ़, पूना, हल्द्वानी आदि क्षेत्रों में चले गए जो कुछ अपनी मातृ भूमि से प्रेम और माता पिता का सहारा बन यहां रुके हैं वह रोजगार के साधन न होने के कारण अपने जीवन यापन के लिए संघर्ष कर रहे हैं l
अधिकांश घरों में केवल स्त्रियां ही बची हैं जिनके कंधों पर जानवर खेत से लेकर बच्चों की जिम्मेदारी का बोझ है या यूं कहें की पहाड़ के अधिकांश क्षेत्र टीके ही मातृ शक्तियों के दम पर हैं l
इन खूबसूरत वादियों में जगह जगह मंदिर और सुंदर मनमोहक स्थान होने के बावजूद यहां का युवा रोजी रोजगार के लिए पलायन कर गया है l
खेत और फसल मातृ वर्षा पर निर्भर है l अगर वर्षा ठीक हो गई तो साल भर के खाने को गेहूं इत्यादि हो जाते हैं l
अन्यथा खेत में डाले हुए बीज भी बाहर निकल बिन पीनी के सुख जाते हैं l अधिकांश जगहों पर खेत बंजर पड़े हैं l
सरकार ने पिछले कुछ सालों में बिजली पानी सड़कों पर कुछ कार्य तो किया पर यहां का असली दर्द पलायन, शिक्षा, अस्पताल पर कोई ध्यान नहीं दिया l
विकास के नाम पर जहां स्कूल और अस्पताल होने चाहिए थे वहां राजस्व की भरपाई के लिए देशी शराब और बार जरूर खुलाव दिए l
कुछ लोगों ने बताया कि हमारे ग्राम कसेडमनिया से तहसील लगभग बस किलोमीटर दूर ग़ुलरबाँझ में है हमें छोटे छोटे कार्य शपथ पत्र पेंशन आदि के लिए यहां से वहां यातायात के साधन न होने के कारण या तो पैदल जाना पड़ता है या किसी तहसील में बैठ कार्य करने वाले व्यक्ति को तिगुनी राशि प्रदान कर अपने कार्य करवाने पड़ते हैं l
इन सब अपवादों से एक बात समझ में आती है कि इन पच्चीस सालों में उत्तराखंड में आने वाली सरकार ने कितना विकास हमारे पहाड़ों का किया l
वह जरा जरा सी बातों के लिए मीडिया के सामने घड़ियाली आंसू बहाने वाले विधायक सांसदों ने इन पहाड़ों का कितना दर्द समझा l
यदि साहब थोड़ा भी ध्यान दिया होता तो आज स्थिति और हाल कुछ और होता l

