


(गर्भवती को मुखानी से सुशीला तिवारी अस्पतालों में नहीं मिला इलाज सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंचने तक चली गई जान हे राम)









**मजिस्ट्रेट ने लिया परिजनों का बयान स्वाति पांडे आठ माह के गर्भ में थी**
(योगेश पांडे)
हल्द्वानी दर्दनाक कहा जाए या कलयुग के भगवान डॉक्टरों की संवेदनहीनता लेकिन स्वाति पांडे तो हो गई यमराज को प्यारी। पंतनगर पंत विहार कालोनी स्थित स्वाति पांडे अपने मायके में अपने माता पिता के साथ रह रही थी। उनके पति पंजाब लुधियाना में नौकरी करते हैं। गुरुवार को अचानक स्वाति पांडे की तबियत खराब हो गई परिजन उसे लेकर मुखानी से सुशीला तिवारी मार्ग में बने निजी अस्पताल में ले गए लेकिन भर्ती इलाज करने के बजाय उसे रेफर कर दिया। परिजन स्वाति का बल्ड प्रेशर बढ़ने से परेशान थे वह उसे मुखानी सुशीला तिवारी मार्ग में बने दूसरे अस्पताल ले गए लेकिन उस अस्पताल ने भी इलाज भर्ती नहीं किया। परिजन स्वाति पांडे को सुशीला तिवारी अस्पताल ले जाने लगे लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही स्वाति पांडे यमराज को प्यारी हो गई। पर इस प्राइवेट अस्पतालों की लापरवाही और हमारे बनाए सिस्टम पर एक सवाल छोड़ गई कि मेरा क्या कसूर था हे राम कलयुग के भगवान डॉक्टर ने मुझे क्यों नहीं देखा। सुनो प्रदेश के मुखिया जी हल्द्वानी में प्राइवेट स्कूलों और अस्पतालों की बाढ़ लगी है और इनकी पार्किंग सड़क पर है । आम जनमानस इनसे दुःखी है। फिर इस प्रकार की घटना होने पर यह मरीज को भर्ती व इलाज नहीं करते तो क्यों न आप कानून बना इन्हें बंद कर इन कलयुग के भगवान डॉक्टरों को कटघरे में खड़ा करें। सवाल यह है मुखिया जी कब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी । क्या कसूर है उसका जिसे अस्पताल की जरूरत पड़ जाती है। वैसे भी कोर्ट कचहरी अस्पतालों से हर इंसान दूर रहना चाहते हैं तो क्यों इन अस्पतालों पर आपकी क्रूर दृष्टि पड़े।
