


( न्याय की मांग करने पर कुछ दिन पूर्व काठगोदाम में जनता पर लाठीचार्ज कल भीम आर्मी के संस्थापक हरीश रावत को कालर पकड़ कर घसीटा पुलिस कप्तान से ज्योति मेर मर्डर के बाबत मिलने जा रहे थे हरीश रावत)









(योगेश पांडे)
हल्द्वानी जनता अगर न्याय मांगे उस पर डंडे बरसाना घसीट कर बंद कर देना यह कहां का न्याय है। क्या न्याय की मांग करना हल्द्वानी में अपराध हो गया। या पुलिस वनभूलपूरा कांड भूल गई इसी जनता ने उन्हें बचाया था जब थाना फूंकने का प्रोग्राम बनाया था एक अपराधी के इशारे पर। माना की हल्द्वानी में दोनों मर्डर की गुत्थी सुलझाने में पुलिस परेशान है, पर अगर कोई अपनी बात रख रहा है तो क्या उसकी नहीं सुनी जाएगी साहब। अभी काठगोदाम चौकी में अमित हत्या कांड के लिए न्याय मांगने वाली जनता पर लाठीचार्ज का मामला शांत भी नहीं हुआ था कल ज्योति मेर ट्रेनर मर्डर के मामले में ज्योति मेर के स्वजनों के साथ पुलिस कप्तान से मिलने जा रहे पहाड़ी आर्मी के संस्थापक हरीश रावत का कोतवाल राजेश कुमार ने कालर पकड़ कर घसीटा और एक कमरे में बंद कर दिया। इस पर महिलाएं आक्रोशित हो गई उन्होंने कोतवाली गेट पर ही धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया जबकि उस समय तेज वर्षा भी हो रही थी। ज्योति मेर की चाची प्रेमा मेर ने पुलिस पर अभद्रता का आरोप भी लगाया। मामला बढ़ने पर कांग्रेसी नेता ललित जोशी भी कोतवाली पहुंच गए उन्होंने एस पी सिटी प्रकाश चंद्र से दोनों मामलों की निष्पक्ष जांच करने की बात की। करीब एक घंटे बाद पुलिस ने हरीश रावत को छोड़ दिया। हरीश रावत ने बताया कि पुलिस दोनों मर्डर मिस्ट्री सुलझा नहीं पा रही है ,पर न्याय मांगने वालों की आवाज दबा रही है। उधर कोतवाल राजेश कुमार से पूछने पर उन्होंने अभद्रता करने से साफ इंकार कर दिया।
