

(योगेश पांडे)










,, उत्तराखंड में राज्य के विश्वविद्यालयों में छात्र संघ चुनाव ना करा पाना सरकार का लोकतांत्रिक मूल्यों को खतम करने की कोशिश,, हल्द्वानी पछास के महासचिव महेश ने कहा कि विभिन्न समाचारों से ज्ञात हुआ है कि उत्तराखंड के राजकीय विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों में इस सत्र में छात्र संघ चुनाव नहीं कराएं जाएंगे। उत्तराखंड उच्च न्यायालय नैनीताल ने दायर एक जनहित याचिका पर यह जनवाद विरोधी फैसला दिया है। जिसका आधार उत्तराखंड सरकार के एक पुराने शासनादेश को बनाया गया। जिसमें लिंगदोह कमेटी के अनुसार 30 सितम्बर तक चुनाव कराने की बात की गई थी।छात्र संघ छात्रों की मांगों को सरकार, समाज तक ले जाने के लिए छात्रों का निर्वाचित मंच होता है। अतीत में छात्र मुद्दों को उठाने वाले छात्र संघ ने उत्तराखंड राज्य आंदोलन, नशा नहीं रोजगार दो, महिला हिंसा के विरोध में आदि कई शानदार संघर्ष लड़े हैं। एक लोकतांत्रिक देश में चुनाव होना स्वस्थ परम्परा है। इसी लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों में की गई खर्च की सीमा और निजी कॉलेजों-विश्वविद्यालयों में चुनाव कराने के फैसलों को सरकार ने कभी लागू नहीं किया। सरकार चुनाव से धनबल, बाहुबल, गुंडागर्दी, क्षेत्रवाद, जातिवाद, साम्प्रदायिकता, भ्रष्ट संसदीय राजनीति जैसे मुद्दों को छात्र संघ चुनाव तक फैलाने के लिए जिम्मेदार है। इसकी जगह छात्रों के वास्तविक मुद्दों शिक्षा, रोजगार व अन्य सामाजिक मुद्दों, आदि से छात्र संघों को दूर करती रही है। हर वर्ष वार्षिक कलेण्डर जारी करके उसके हिसाब से प्रवेश, अध्ययन, चुनाव, परीक्षा आदि कुछ भी नहीं सम्पन्न करवाती। लेकिन यहाँ उत्तराखंड सरकार पहले अपने शासनादेश के आधार पर चुनाव नहीं करा पाई। फिर न्यायालय में चुनाव कराने में असमर्थता जता दी।पछास महासचिव ने उत्तराखंड में न्यायालय के उक्त फैसले को भाजपा की डबल इंजन की मोदी-धामी सरकार की छात्र संघ को समाप्त करने की घिनौनी साजिश का हिस्सा बताया। भाजपा सरकार चुनी हुई संस्थाओं को व्यवहार में नकारती रही हैं। तमाम चुनावों में धांधली, पाबन्दी आदि के जरिए यह देखने में आता रहता है। यहां छात्र संघ चुनाव नहीं होने पर छात्रों को भी अपने ढंग से चलाना चाहती है। पहले लिंगदोह कमेटी के जरिए छात्र संघ को कमजोर करने की कोशिश की गयी। अब चुनाव ना कराकर छात्र संघ के अस्तित्व को ही खतम किया जा रहा है।परिवर्तनकामी छात्र संगठन सरकार के इस तानाशाहीपूर्ण रवैये का घोर विरोध करता है।

