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(योगेश पांडे) उत्तराखंड में परिवार पहचान पत्र योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सरकार अगले हफ्ते समझौता ज्ञापन (एमएमयू)ऊ पर हस्ताक्षर करने जा रही है। इसके लिए एजेंसी का चयन कर लिया गया है। एजेंसी विभागों से जुड़ी योजनाओं के लाभार्थियों के आंकड़ों का विश्लेषण करने से लेकर इसकी मानिटरिग तक का कार्य करेगी। सरकार का मानना है कि परिवार पहचान पत्र योजना के जरिए एकत्रित आंकड़ों से सरकार की अन्य योजनाओं रोजगार, उद्यम, जनगणना, निर्वाचन और शहरी व ग्रामीण घरों के बारे में ताजा जानकारी उपलब्ध हो सकेगी। यानी परिवार पहचान पत्र चाबी से सरकार सभी विभागों से जुड़ी वर्तमान और भावी योजनाओं के ताले खोल सकेगी। योजना के तहत दो तरह का परिवार पहचान पत्र उपलब्ध कराया जाएगा। पहला उन परिवारों के लिए जो स्थाई रूप से निवास कर रहे हैं। दूसरा उन लोगों के लिए जिनका राज्य में आना जाना लगा रहता है। इसमें परिवारों को यूजर आईडी व पासवर्ड दिया जाएगा,ताकि वे बेबसाइट पर अपने परिवार व सूचनाओं को समय-समय पर अपटेड कर सकें। क्या हैं सरकार की नजरों में इसके फायदे। परिवार पहचान पत्र बनने के बाद सरकार के पास प्रत्येक परिवार के बारे में यह जानकारी होगी की वह किस किस योजना का लाभ ले रहा है। इससे डुप्लीकेसी कम होगी और फर्जीवाड़ा रुकेगा। बार बार सर्वे कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी धन और समय दोनों की बचत। लोगों को यह जानकारी मिलेगी कि वह किन किन योजनाओं के पात्र हैं और किन किन योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। ,, पोर्टल तैयार, प्रकोष्ठ भी गठित,, नियोजन विभाग ने पोर्टल तैयार कर लिया है। इसके जरिए योजना का संचालन व मानिटरिग का कार्य होगा। नियोजन विभाग में एक प्रकोष्ठ का गठन कर दिया गया है, जिसमें योजनाकारों व विश्लेषकों को जिम्मेदारी दी गई है। क्या कहते हैं आर मीनाक्षी सुंदरम सचिव नियोजन। परिवार पहचान पत्र योजना के लिए जल्द ही हम एक एजेंसी के साथ एम ओयू करने जा रहे हैं।यह एजेंसी जल्द से जल्द योजना को धरातल पर उतारने में सहयोग करेगी










अन्य राज्यों का अध्ययन करने से हमें योजना को और प्रभावी बनाने में मदद मिली है।


