
हादसे वाली जगह पर न पैरापिट और न ही क्रश बैरियर।










(योगेश पांडे)
हल्द्वानी कूपी बैंड के पास सोमवार सुबह हुए हादसे में कई परिवारों को इतना गहरा जख्म लगा है जिसे भरना मुश्किल है l जिस परिवार का सदस्य इस दुर्घटना में शामिल होगा उस पर जो बीत रही होगी वही जान पाएगा। इस क्षेत्र में चल रही एकमात्र बस के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबर सुन सब घटनास्थल की ओर दौड़ पड़े चारों ओर लाशों के ढेर और घायलों की चीख पुकार में किसी का ध्यान सुरक्षा उपायों पर नहीं गया। जिस जगह पर हादसा हुआ वहां पर न तो दुर्घटना रोकने के लिए क्रश बैरियर लगाए गए थे और न ही पैरापिट का ही निर्माण किया गया था। अगर लगा होता तो शायद 36 लोगों की जान और 24 लोग घायल होने से बच जाते। दूसरा लोगों का रोष पुलिस प्रशासन पर भी है कारण घटनास्थल से मरचूला चौकी करीब ही है इसके बाद भी पुलिस घंटे भर बाद आई। इस दौरान एक पुलिस कर्मचारी ग्रामीणों संग बचाव कार्य में जुटे रहे। तीसरा मजबूरी में बस में चढे़ थे इतने लोग अगर क्षेत्र में यातायात की सुगम वयवस्था होती तो इतने लोग चालक के मना करने के बाद भी बस में नहीं चढ़ते। इसे शासन प्रशासन की नाकामी नहीं तो और क्या मानी जाए कि हजारों की आबादी वाले क्षेत्र में सुबह शाम एक ही बस का संचालन हो रहा है, यही कारण रहा अपने गन्तव्य स्थान को जाने के लिए लोग मजबूरी में इस बस में चढ़ गये। चौथी लापरवाही काम नहीं आई एम्स ऋषिकेश की हैली एंबुलेंस सेवा। सड़क हादसे से ठीक एक हफ्ते पहले प्रधानमंत्री मोदी ने 29 अक्टूबर को वर्चुअल के माध्यम से इस हैली एंबुलेंस सेवा का उद्घाटन किया था। लोगों को आशा थी कि दुर्घटना होने पर इस हैली एंबुलेंस सेवा का उपयोग अस्पताल जाने के लिए किया जाएगा, लेकिन इस हादसे में यह एबुंलेस सेवा काम नहीं आई कारण इसमें अभी कुछ उपकरण लगाए जाने बांकी थे। क्या कहते हैं संदीप कुमार पी आर ओ एम्स, ,, राज्य सरकार ने हैली से ही घायलों को अस्पताल भेजा था l घायलों का उपचार ट्रामा सेंटर में ही किया जा रहा है l एम्स की हैली सेवा में कुछ उपकरण लगाए जाने बांकी थे जिसके लिए हैली एम्बुलेंस यहाँ मौजूद नहीं है आवश्यकता पड़ने पर इसका उपयोग किया जाता l इन लापरवाही के चलते बहुत सी जाने नहीं बचाई जा सकी l भविष्य में कोई अनहोनी होने पर ऐसी लापरवाही न हो इसके लिए ठोस कदम उठाने होंगे l

