


(योगेश पांडे)










मरचुला (अल्मोड़ा) के पास दर्दनाक बस दुर्घटना में बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु अत्यंत दुःखद, हृदयविदारक और पीड़ादायक घटना है। इस दुर्घटना के मृतकों को विनम्र श्रद्धांजलि, परिजनों के प्रति गहरी संवेदना और घायलों के शीघ्रता से स्वस्थ होने की कामना है।
उत्तराखण्ड राज्य में पहाड़ से मैदान तक आए दिन हो रही सड़क दुर्घटनाओं में बड़ी संख्या में लोगों के मारे जाने के बाद भी कोई ठोस उपाय न होना बेहद खेदजनक है। किसी बड़ी दुर्घटना के होने के बाद कुछ दिन जरूर प्रशासन में चुस्ती जैसी होती प्रतीत होती है लेकिन फिर वही ढाक के तीन पात वाली स्थिति। इसके लिए राज्य सरकार और प्रशासन की संवेदनहीनता और लापरवाह कार्यप्रणाली जिम्मेदार है। आवारा पशुओं से टकराकर हर हफ्ते किसी न किसी की मृत्यु हो रही है, पहाड़ से भी हर पखवाड़े किसी दुर्घटना की खबर आ जाती है। लेकिन आवारा पशुओं के मामले का निस्तारण न होना हो या सार्वजनिक वाहनों की फिटनेस से लेकर ओवरलोडिंग तक हर मामले में प्रशासनिक लापरवाही और सांठगांठ हो रही है। इसी के चलते मरचुला जैसी दुःखद दुर्घटनाएं सामने आती हैं। राज्य में लगातार हो रही इन दुर्घटनाओं की जिम्मेदारी राज्य के मुख्यमंत्री को लेनी चाहिए और राज्य सरकार को सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए ठोस और कड़े कदम उठाने और जरूरी उपाय करने की आवश्यकता है।
डा कैलाश पाण्डेय
जिला सचिव
भाकपा माले, नैनीताल

