

( जीवन में आये दुख से मनोबल द्धारा खुद को उबारा ध्यान और शाकाहार के बल पर)











( कहा किसानो का शोषण बन्द करो और विकास कार्य में बाधा उत्पन्न न करे वन विभाग)
(योगेश पांडे)
हल्द्वानी यह कहानी नहीं हकीकत है हम सबको समझ दूसरों को समझाना होगा कि हम कैसे अपने भाईयों को मारकर काट कर पका कर खा सकते हैं आखिर हम भी तो 84 लाख योनियों से गुजर कर इंसान बने हैं इस नाते सभी पशु पक्षी हमारे भाई बहन हुए उस परम पिता की दृष्टि में सब बराबर हैं इस कारण हमें मांसाहारी नहीं शाकाहारी जीवन जीना चाहिए यह कहना है शिक्षिका से प्रिंसपल बनी सावित्री पांगति का जिन्होंने अपने गुरु से प्रेरणा ले विश्व के आखरी व्यक्ति को शाकाहारी बनाने का बीड़ा उठाया है l उन्होंने बताया कि सन् 2016 में पैरालाइज का अटैक पडा़ उसके बाद पति का स्वर्ग वास के बाद मेरी जीने को इच्छा खत्म हो गई थी फिर मैंने अपने मनोबल का सहारा लिया और प्रण किया की आज से मै समाज के लिए जिउँगी और प्रत्येक व्यक्ति को शाकाहारी व ध्यान करने को प्रेरित करूँगी l
मूल रूप से मुनस्यारी की रहने वाली सावित्री पागंती ने चालीस साल शिक्षा की सेवा दिल्ली में करी। अपने रिटायर्ड जीवन को सावित्री ने समाज को सौंप दिया पिरामिड पद्धति से ध्यान और शाकाहार जीवन जीते हुए लोगों को भी ध्यान और शाकाहार बनने की प्रेरणा दें रही हैं l

