


‘(सिद्धार्थी’ नामक संवत्सर का प्रभाव ) प्रधान संपादक श्री बुद्दि पंचाग










(योगेश पांडे)
संवत्सर 2082 (शाके 1947) ‘सिद्धार्थी’ नामक रहेगा।
इस संवत्सर में राजा सूर्य देव होंगे और मंत्री पद पर भी सूर्य देव ही आसीन रहेंगे। इसका प्रभाव प्राकृतिक घटनाओं, कृषि, समाज और राजनीति पर व्यापक रूप से देखा जाएगा।
संवत्सर 2082 का फल:
इस वर्ष वर्षा सामान्य से कम होने की संभावना है, जिससे कृषि क्षेत्र प्रभावित होगा और धान्य एवं फलों का उत्पादन कम रहेगा।
गायों में दूध उत्पादन में कमी देखी जा सकती है।
अग्नि भय, चोरों का आतंक, जनहानि और राज्यों में संघर्ष की स्थिति बन सकती है।
स्वास्थ्य समस्याओं में विशेष रूप से हृदय एवं नेत्र संबंधी रोगों की वृद्धि होगी।
राजकीय सेवाओं, व्यापार और नौकरीपेशा वर्ग के लिए यह संवत्सर अत्यधिक लाभकारी रहेगा। व्यापार में नए आयाम स्थापित होंगे और आय में वृद्धि होगी।
नए कार्यों के लिए यह वर्ष शुभ रहेगा।
ग्रहों का पदभार एवं प्रभाव
- सस्येश एवं नीरसेश – बुध देव रहेंगे, जिससे वाणिज्य और व्यापार में सकारात्मक प्रभाव रहेगा।
- मेघेश – सूर्य देव को यह पद प्राप्त हुआ है, जिससे वर्षा में कमी होगी।
- दानव गुरु शुक्राचार्य – रसेश का कार्यभार ग्रहण करेंगे, जिससे भौतिक सुख-सुविधाओं की ओर प्रवृत्ति बढ़ेगी।
- धनेश – मंगल देव को यह दायित्व प्राप्त हुआ है, जिससे व्यापार एवं अर्थव्यवस्था में नई संभावनाएं उभरेंगी।
- धान्येश – चंद्र देव इस पद को धारण करेंगे, जिसका प्रभाव कृषि उत्पादन पर पड़ेगा।
- फलेश एवं दुर्गेश – न्यायाधिपति शनि महाराज इस पद पर रहेंगे, जिससे जनता को संघर्षों का सामना करना पड़ सकता है।
शनि का गोचर – 29 मार्च 2025
29 मार्च 2025 को शनि मीन राशि में प्रवेश करेगा।
मेष, मीन और कुंभ राशि – इन राशियों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा।
सिंह और धनु राशि – इन राशियों में शनि की ढैया प्रारंभ होगी।
उत्तराखंड की सरकार और राजनेताओं के लिए यह समय कठिन निर्णय लेने का होगा। शासन-प्रशासन में बदलाव और चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
बृहस्पति का गोचर – 14 मई 2025
बृहस्पति मिथुन राशि में प्रवेश करेगा।
शिक्षा, रोजगार, और सांस्कृतिक क्षेत्रों में नए अवसर सामने आएंगे।
राज्य में नए विकास कार्यों की शुरुआत हो सकती है, किंतु इनके कार्यान्वयन में बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
राहु-केतु का गोचर – 18 मई 2025
राहु कुंभ राशि में और केतु सिंह राशि में प्रवेश करेगा।
प्राकृतिक आपदाओं का खतरा बढ़ सकता है, जिसमें भूस्खलन, बाढ़ और भूकंप जैसी घटनाएं शामिल हो सकती हैं।
समाज में स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ सकती हैं।
राजनीतिक अस्थिरता, और किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति की हानि की संभावना है।
राजनीतिक दृष्टिकोण
2025 में उत्तराखंड के राजनेताओं को विशेष रूप से सतर्क रहना होगा।
मंगल की ऊर्जा बढ़ाने के उपाय करने होंगे, क्योंकि मंगल कमजोर होने पर असफलता और अपमान का सामना करना पड़ सकता है।
राजनेताओं को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बने रहने के लिए आध्यात्मिक उपाय अपनाने चाहिए।
विशेष उपाय और समाधान - मंगल की ऊर्जा बढ़ाने के उपाय
मंगलवार को हनुमान जी की पूजा करें और सुंदरकांड का पाठ करें।
मसूर की दाल और लाल वस्त्र का दान करें।
तांबे के बर्तन में पानी रखें और उसका उपयोग करें। - आध्यात्मिक उपाय
नियमित हनुमान चालीसा और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
शनिवार के दिन काले तिल और तेल का दान करें।
यज्ञ, हवन और पूजा-पाठ का आयोजन करें। - सामूहिक प्रयास
प्राकृतिक आपदाओं के लिए आपदा प्रबंधन की तैयारियां सुनिश्चित करें।
पर्यावरण संरक्षण के प्रयासों को प्राथमिकता दें।
वाम पाद दोष एवं उपाय
विशाखा, अनुराधा और ज्येष्ठा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातकों को ‘वाम पाद दोष’ रहेगा।
उपाय:
चांदी के पांव का दान करें।
रुद्राभिषेक करें।
संक्रांति के समय कर्क, वृश्चिक और मीन राशि पर अपेट होगा, जबकि संवत्सर अपेट मेष, सिंह और धनु राशि के जातकों को होगा
निष्कर्ष
संवत्सर 2082 ‘सिद्धार्थी’ में सूर्य देव का राजा और मंत्री दोनों होना शासन-प्रशासन को सशक्त बनाएगा, लेकिन आम जनता को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। राजकीय सेवाओं और व्यापार के लिए यह समय अनुकूल रहेगा, किंतु कृषि और स्वास्थ्य क्षेत्र में सतर्कता आवश्यक होगी। सही उपायों और आध्यात्मिक साधना से इस संवत्सर के प्रभावों को संतुलित किया जा सकता है l

