


(अभिवाहक बेबस, शिक्षा विभाग के नियमों और निर्देशों की उड़ा दी धज्जी)










खेलने का खेल पुराना पर अंदाज नया बुक सेलर को स्कूल का नाम क्लास बताने पर दिया जा रहा है बना बनाया बंडल
(योगेश पांडे)
हल्द्वानी न कोई डर न कोई परवाह प्राइवेट स्कूलों के आगे सब बेबस आखिर बच्चों के भविष्य और शिक्षा का सवाल है l विभाग के यह हाल हैं कि उसने निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ निर्देशों को ई मेल आईडी पर जारी कर आँखे बन्द कर ली l और स्कूलों का यह हाल की प्राइवेट पब्लिकेशन के नाम पर अन्य स्टेशनरी के लिए तय दुकान से ही किताब खरीदने को अभिवाहकों को किया जा रहा है बेबस l तय दुकानों का इसलिए कि दुकानों पर स्कूल का नाम व क्लास बताने पर वहाँ पहले से तैयार बंडल दिया जा रहा है l
किस प्रकार खेला जा रहा है पुराना खेल नये ढंग से#
अभिवाहकों की शिकायतों पर जब बुक सेलरों के वहाँ जाकर देखा तो खेल समझ में आया l जैसे ही आप बुक सेलर की दुकान पर जायेंगे आपसे स्कूल का नाम फिर बच्चे की क्लास पूछी जायेगी l फिर आपको कापी किताबों के तय मूल्य की एक स्लिप थमा दी जायेगी l आप इस तय मूल्य का पेमेंट पहले करेंगें तब उस स्लिप पर दुकान का कर्मचारी अपनी मुहर लगायेगा और एक अन्य कर्मचारी आपको पहले से तैयार बंडल थमा देगा l इस सब कार्य को दुकान में कार्य करने वाले कर्मचारी करते हैं l और इन कापी किताबों के मूल्य का कोई पक्का बिल भी नही दिया जाता l एक अभिवाहक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि क्या और किसे शिकायत करें फिर हमारा वास्ता इसी दुकानदार से पड़ना है l हमने बच्चे भी तो पड़ाने हैं l
खंड शिक्षा अधिकारी तारा सिंह ने कहा कि,, कापी किताबों या अन्य स्टेशनरी के लिए कोई भी स्कूल तय दुकानों से क्रय करने का दवाब नही बना सकता है ,
इसके लिए विभाग ने शिकायत के लिए ई- मेल आईडी बनाई हुई है l यदि शिकायत सही पाई गई तो स्कूल और बुक सेलर दोनों के खिलाफ कारवाई की जायेगी l
अब देखना यह है कि यह कौन तय करेगा कि शिकायत सही है या गलत यानी हर तरफ से फंसा अभिवाहक ही l

