


(सन 2017 में हरीश सिंह रावत की सरकार ने इस पर किया था गौर)










(योगेश पांडे)
जिन समस्याओं के लिए उत्तराखण्ड राज्य का गठन हुआ l जिस राज्य को पाने के माताओं बहनों को अपनी अस्मिता गवानी पड़ी क्या उस राज्य को बनाने से यहाँ के निवासियों का हित हुआ l क्या जिस मुद्दे को लेकर राज्य का गठन किया गया वह सपना पूरा हुआ नही l मुख्य मुद्दे था रोजगार और पलायन पर ताज्जुब इस बात से है कि सन् 2000 से अब तक किसी भी मुख्यमंत्री हरीश सिंह रावत को छोड़कर ने पलायन और रोजगार का मुद्दा सदन के पटल में आने ही नही दिया या यूं कहें इस मुख्य मुद्दे से जनता का ध्यान भटकाने का प्रयास किया l
उत्तराखंड के अब तक के मुख्य मंत्रियों की सूची निम्नलिखित है:
- नित्यानंद स्वामी: 9 नवंबर 2000 से 29 अक्टूबर 2001 तक ¹
- भगत सिंह कोश्यारी: 30 अक्टूबर 2001 से 1 मार्च 2002 तक
- एन डी तिवारी: 2 मार्च 2002 से 7 मार्च 2007 तक
- बी. सी. खंडूरी: 8 मार्च 2007 से 23 जून 2009 तक और फिर 11 सितंबर 2011 से 13 मार्च 2012 तक
- रमेश पोखरियाल निशंक: 24 जून 2009 से 10 सितंबर 2011 तक ¹
- विजय बहुगुणा: 13 मार्च 2012 से 31 जनवरी 2014 तक
- हरीश रावत: 1 फरवरी 2014 से 27 मार्च 2016 तक और फिर 21 अप्रैल 2016 से 22 अप्रैल 2016 तक और फिर 11 मई 2016 से 18 मार्च 2017 तक
- त्रिवेंद्र सिंह रावत: 18 मार्च 2017 से 10 मार्च 2021 तक
- तीरथ सिंह रावत: 10 मार्च 2021 से 4 जुलाई 2021 तक
- पुष्कर सिंह धामी: 4 जुलाई 2021 से अब तक l
उत्तराखंड में सन् 2017 में त्रिवेंद्र सिंह रावत का कार्य काल नहीं था, बल्कि उस समय एन डी तिवारी के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत के पहले के मुख्यमंत्री थे हरीश रावत । हरीश रावत ने उत्तराखंड में पलायन की समस्या से निपटने के लिए कुछ कदम उठाए थे। उन्होंने राज्य में रोजगार के अवसर पैदा करने और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की थीं। इसके अलावा, उन्होंने उत्तराखंड के ग्रामीण विकास एवं पलायन रोकथाम आयोग का गठन किया था, जो राज्य में पलायन की समस्या का अध्ययन करने और इसके समाधान के लिए सिफारिशें करने के लिए बनाया गया था l

