


( जब चलने की ताकत न रही, तब भी करी दूसरों की सेवा)(योगेश पांडे)हल्द्वानी शहर के बाबा नीम करौली वृद्धाआश्रम में रह रही एक अम्मा मीठी अम्मा के नाम से प्रसिद्ध है l उनका खाली नाम ही मीठी अम्मा रखा है पर उनकी जिंदगी में कोई मीठापन नहीं है l यह कहानी उस महिला की है जो आज तक खुद से ज्यादा दूसरों के लिए जी रही हैं l कहानी इस प्रकार है जब भगवती उर्फ मीठी अम्मा का मात्र १४ साल की उम्र में विवाह हो गया था l शादी के चार साल पति घर छोड़ कर चले गए l वह गांधी आश्रम से काम लाकर सिलाई बुनाई और मेड का काम कर गुजारा करने लगी l जब घर पर मां का अत्याचार बड़ा तो उन्होंने घर छोड़ दिया l इस सब के बीच भगवती को सड़क पर बच्ची पड़ी मिला भगवती ने उसे गोद ले लिया कुछ दिनों बाद एक अजनबी एक बच्चे को लेकर आया और भगवती से उसे पाल लिया कुछ दिनों बाद लड़की और लड़का दोनो ने घर बसा लिया और भगवती को बाहर निकाल दिया घर से l फिर उसने गुनते एक बूढ़े को सहारा दिया कुछ समय बाद वह स्वर्गवासी हो गया l भगवती फिर से अकेली रह गई l











