


(मात्र राजस्व वसूली के लिए प्रोत्साहन दिया उत्तराखंड में इसे अब सड़के नहीं तो वाइन शॉप पर हर ब्रांड की शराब उपलब्ध है)









कानून ऐसा कि बेचना दायरे में आता है पीने पर चालान
मत पियो शराब ।।
शिक्षा नहीं तो शराब, अस्पताल में डॉक्टर नहीं शराब? डॉक्टर अच्छे है तो साधन नहीं, जीरो टॉलरेंस किस विभाग में दिख रहा आपको उत्तराखंड में,, साहब बिना उच्च न्यायालय की शरण में जाए न निकाय चुनाव न पंचायत चुनाव संभव नहीं छात्र संघ चुनाव भी करा दिए अपनी मर्जी के हवाले,युवा बेरोजगार, पहाड़ पलायन से खाली, मातृ शक्ति दुराचार दुष्कर्म से पीड़ित, छात्र पढ़ना चाहें तो कोई सुविधा नहीं, सरकारी स्कूलों की बदहाली, प्राइवेट स्कूलों की मनमानी तभी मांगा था उत्तराखंड, क्यों चुप हो गए जनाब देव भूमि कैसे कहेंगे इसे अब, ध्यान रहे पब्लिक सब जानती है कहीं ऐसा न हो पंचायत चुनाव में ही आपको धरातल दिख जाए , जो ग्राम प्रधान नही बने आज विधायक बन गए ,इस पच्चीस साल के जवान उत्तराखंड को अब समझ ने आ रहा है यहां राज करने वाले सरकारों और माननीयों का किया धरा,
केवल एक चौथा स्तम्भ मीडिया वो भूखा प्यासा घूम कर आपकी खबरें लगा रहा है उस पर पुलिस का चैकिंग के नाम पर उत्पीड़न #
(योगेश पांडे)
*हल्द्वानी शराब परोसी जा रहीं है जैसे अमृत हो खुले आम बार और वाइन शॉप खुलवाकर जहां कभी चाय की दुकानें थी। इंपोर्टेड ब्रांड की वाइन शॉप, लेडीज बार हुक्का बार, बियर बार, यहीं नहीं थमे तो सुबह से इन्हीं की आवंटित की गई दुकानों में अवैध शराब हद तो तब हो गई उत्तराखंड में स्मैक अफीम चरस गांजा से लेकर मेडिकल स्टोर से मिलने वाली पर प्रतिबंधित दवाई जो आज युवा वर्ग से गरीब वर्ग उपयोग नशे के लिए कर रहा है *
और माननीय की पीठ थपथपाई जा रही है वाह क्या कहने। चलो छोड़ो इनका क्या कहना और इनसे क्या करना शराब को लेकर कुछ जानकारी एकत्र की है उसे पड़ लीजिए आप।
नौशादर एक प्रकार का रासायनिक पदार्थ है जो अक्सर शराब में नहीं पाया जाता है, लेकिन यह संभव है कि आप अमोनियम क्लोराइड (NH4Cl) की बात कर रहे हों, जिसे कभी-कभी नौशादर कहा जाता है।
अमोनियम क्लोराइड (नौशादर) के उपयोग:
- औद्योगिक उपयोग: अमोनियम क्लोराइड का उपयोग विभिन्न औद्योगिक प्रक्रियाओं में किया जाता है, जैसे कि बफर सॉल्यूशन बनाने में।
- चिकित्सा उपयोग: यह कभी-कभी चिकित्सा में उपयोग किया जाता है, लेकिन इसका उपयोग शराब में नहीं किया जाता है।
शराब में नौशादर का उपयोग:
- अनुचित और अवैध: शराब में नौशादर का उपयोग अनुचित और अवैध हो सकता है, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
शराब की गुणवत्ता और सुरक्षा:
- नियमित जांच: शराब की गुणवत्ता और सुरक्षा के लिए नियमित जांच की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इसमें कोई हानिकारक पदार्थ नहीं हैं।
- स्वास्थ्य जोखिम: शराब का अधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, और इसमें किसी भी प्रकार के हानिकारक पदार्थ की उपस्थिति इसे और भी खतरनाक बना सकती है।
यह महत्वपूर्ण है कि शराब का सेवन जिम्मेदारी से किया जाए और इसकी गुणवत्ता और सुरक्षा के बारे में जागरूक रहा जाए।उत्तराखंड में देशी और विदेशी शराब के निर्माण में कुछ अंतर होते हैं।
देशी शराब मुख्य रूप से गन्ने के शीरे और अन्य कृषि उत्पादों से तैयार की जाती है, जबकि विदेशी शराब इथेनॉल बेस्ड स्पिरिट से बनाई जाती है और इसे फिल्टर और प्योरिफाई किया जाता है।
देशी शराब की विशेषताएं:
- अधिक अल्कोहल प्रतिशत होने के कारण यह ज्यादा तीव्र नशा देती है
- कम कीमत पर उपलब्ध होने के कारण यह आम लोगों के लिए सुलभ है
- प्लास्टिक बोतलों या थैलियों में पैक की जाती है
विदेशी शराब की विशेषताएं:
- संतुलित मात्रा में अल्कोहल होने के कारण इसका प्रभाव धीरे-धीरे महसूस होता है
- शुद्धिकरण प्रक्रिया से गुजरने के कारण यह अधिक सुरक्षित मानी जाती है
- ग्लास बोतलों में पैक की जाती है और ब्रांडेड होती है
स्वास्थ्य के लिए हानिकारक:
- दोनों प्रकार की शराब स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती हैं, लेकिन देशी शराब की गुणवत्ता में कमी होने के कारण इसमें स्वास्थ्य जोखिम अधिक होते हैं
- विशेषज्ञों की राय में, शराब का अधिक सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है, चाहे वह देशी हो या विदेशी
उत्तराखंड सरकार ने आबकारी नीति 2024 में कई बदलाव किए हैं, जैसे कि देशी शराब में स्थानीय फलों के इस्तेमाल को मंजूरी देना और विदेशी मदिरा की बॉटलिंग प्लांट खोलने की व्यवस्था करना।
सरकार मात्र राजस्व वसूली के लिए देती है बढ़ावा शराब को इससे राज्य में राजस्व बढ़ने की उम्मीद है ।
