


देहरादून/उत्तराखंड: प्रदेश के स्कूलों में बच्चों के बस्ते का वजन लगातार बढ़ता जा रहा है। ताजा मामला कक्षा 6 की विज्ञान पुस्तक का है, जो अब 500 पेज की हो गई है और वजन सवा किलो के करीब है। बच्चों के कंधों पर बढ़ते इस बोझ को देखकर अभिभावक और शिक्षक दोनों चिंतित हैं।









गौर करने वाली बात यह है कि एक ओर शिक्षा विभाग ने स्कूल बैग के वजन को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं, वहीं दूसरी ओर खुद की नीतियों से यह मानक ध्वस्त होते दिखाई दे रहे हैं।
द्विभाषी किताबें बनीं कारण
इस बदलाव के पीछे मुख्य वजह है – हिंदी और अंग्रेजी में एक साथ द्विभाषी पुस्तकें लागू करना। इससे किताबों के पेज पहले की तुलना में लगभग दोगुने हो गए हैं, जिससे वजन में भारी इजाफा हुआ है।
मानकों को ही तोड़ रहे सरकारी स्कूल
शिक्षा विभाग ने कक्षा 6 के लिए बस्ते का अधिकतम वजन लगभग 5 किलोग्राम निर्धारित किया है। मगर अब स्थिति यह है कि केवल एक विषय की किताब ही डेढ़ किलो तक पहुंच रही है। ऐसे में पूरा बस्ता कितने का हो जाएगा, अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं।
जरूरत है नए हल की
शिक्षाविदों का मानना है कि बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास को ध्यान में रखते हुए अब डिजिटल लर्निंग, रोटेशनल टाइमटेबल, और वीकली नोट्स जैसी व्यवस्थाएं अपनाने की ज़रूरत है, ताकि भविष्य के कंधों पर शिक्षा का बोझ ज्ञान बनकर टिके, न कि बोझ बनकर झुके।
