


(पुलिस कारवाई कर धरपकड़ तो कर रही है पर असली गुनहगार पकड़ से बाहर)









** साहब इनकी भी सुनो कुसुमखेड़ा स्थित एक महिला ने कहा स्मैक से लेकर चरस गांजा बिक रहा है और तो और गरीब घर के युवा प्रतिबंधित दवाई कोरेक्स प्रोक्सिवन आदि का कर रहे हैं नशा जो खुलेआम मेडिकल स्टोर पर दो सौ से दस रुपए प्रतिगोली के हिसाब से बिक रहा है**
(योगेश पांडे)
हल्द्वानी न जाने इस प्यारे शहर को किसकी नजर लग गई एक समय था युवा फौज में जाने के दौड़ भाग कर अपनी फिटनेस करता था और देश सेवा का जज्बा यह था हर माता पिता की चाहत थी कि एक लड़का तो फौज में जाना चाहिए।
आज जमाना बदला अब बच्चे दो ही अच्छे जो नारा केवल सनातनी धर्म हिन्दुओं के लिए लागू है तो एक लड़का एक लडकी किसी की या सिर्फ एक लड़का।
हल्द्वानी में सरकारी योजनाओं से कोई रोजगार नहीं पर हुनर मंद लोग कोई न कोई कार्य कर अमीरों की श्रेणी जैसी जिंदगी बसर कर रहे हैं।
सब ठीक ठाक चल रहा था अचानक सरकार बदली नीति बदली जगह जगह बार हुक्का बार बियर बार वाइन शॉप खोल दिए गए।
युवा वर्ग पड़ लिख तो गया पर योग्यता के अनुसार नौकरी नहीं तो पड़ गया नशे की लत में , जो जगह जगह उपलब्ध है।
यहीं मेडिकल स्टोर वालों ने भी अपनी कमाई का मार्ग ढूंढा दस रुपए का पत्ता प्रॉक्सिवन जो फुटकर रेट पर बिकता था दवाई दर्द की थी बाद में इसमें प्रतिबंध लगा दिया उस गोली को आज दस रुपए की एक के हिसाब से बेच रहे हैं और गरीब युवा वर्ग इसे नशे के लिए प्रयोग कर रहे हैं दो गोली खाओ और मस्त हो जाओ ।
यही हाल खासी के लिए प्रयोग में आने वाली कोरेक्स का है जो अब प्रतिबंधित है मात्र 28 रुपए की शीशी को बेच रहे दो सौ रुपए में और सबको नहीं देते केवल डेली कस्टमर को जिनसे खतरा न हो। इधर हल्द्वानी में स्मैक चरस अफीम गांजा तो गली गली में मौजूद है।
शराब का आलम यह है नौ बजे के बाद कहीं भी ले लो उससे पहले नारायण नगर कुसुमखेड़ा, फतेहपुर, लामाचौड़ कठघरिया और ऊंचापुल स्थित देशी शराब की कैंटीन पर तो सुबह छः बजे से बीस रुपए की पैग से लेकर इंग्लिश देशी के पव्वे बोतल सब मिल जाती है और कैंटीन वाला कहता है क्या करेंगे फ़ोटो वीडियो बनाकर हमारी पहुंच ऊपर तक है कुछ नहीं होगा ।
आप बताओ सेवा पानी कर दूंगा। यानी हम तो सुधरेंगे नहीं आप भी भ्रष्ट हो जाइए।
पुलिस हाथ पांच मारकर इन धंधे बाजों को पकड़ती भी है तो आबकारी एक्ट में जमानत भी तुरंत हो जाती है।
वैसे भी हल्द्वानी पुलिस करे भी तो क्या माह में दस दिन तो वीआईपी वीवीआईपी ड्यूटी में परेशान रहती है।
अब त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव भी ठहरे आचार संहिता का लाभ ले पुलिस कारवाई तो हर रोज कर रही है पर एक्ट कमजोर है इन नशे के सौदागरों के लिए।
अब क्या करें साहब आप मजबूर परिस्थिति से लोग नशे से और एक रह गए हम हमको पहले ही है बहुत गम जब शाम को खाली जेब घर जाते हैं और सब्जी वाले से सब्जी उधार लाते हैं बच्चे कहते है पिताजी कोई अच्छा कार्य ढूंढ लो क्या रखा इस लिखा पड़ी में।
उस समय मन और साहस टूट जाता है लेकिन फिर सुबह आती है उमंग भर जाती है ।
कभी सीपीयू वाले भी परेशान करते हैं अब वो भी क्या करें ऑटो और टैक्सी वालों पर उनका बस चलता नहीं दो पहिया वालों के पीछे भागते
रहते हैं जो हाथ आया पांच चालन काटे और नौ दो ग्यारह उस बीच में कोई भी निकल जाय फिर क्या करना।
आपने एक गाना सुना होगा पकड़ा गया जो वो चोर है जो बच गया वह सयाना है।
अब आप बताओ आप पब्लिक हो सब जानती हो कहीं इस अपराध को बढ़ने पर मौन आपका भी तो शामिल नहीं ।
