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✍️ योगेश पांडे









रानीखेत (उत्तराखंड):
उत्तराखंड के रानीखेत से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक 17 वर्षीय किशोरी द्वारा लगाए गए दुष्कर्म के आरोपों को कोर्ट ने झूठा करार दिया है। आरोपी सौतेले पिता को न्यायालय ने सभी धाराओं से दोषमुक्त कर दिया है। पीड़िता द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के चलते वह व्यक्ति एक साल 11 महीने तक जेल में बंद रहा।
📝 क्या था मामला?
मामला जून 2023 का है, जब रानीखेत कोतवाली क्षेत्र में एक किशोरी ने अपने सौतेले पिता पर दुष्कर्म, मारपीट और धमकी देने के आरोप लगाए थे। उसके अनुसार, जब वह मेरठ से अपनी मां के गांव आई थी, तो घरेलू विवाद के दौरान दादी के जाने के बाद सौतेले पिता ने उसके साथ दुष्कर्म किया।
पीड़िता ने सौतेले भाई को घटना की जानकारी दी, जिसके बाद पिता पर IPC की धारा 376, 323, 506 और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेज दिया गया।
🧾 कोर्ट में क्या हुआ खुलासा?
मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश पोक्सो श्रीकांत पांडे की अदालत में हुई। जिरह के दौरान:
- पीड़िता के 164 के बयान और लिखित तहरीर में भारी विरोधाभास सामने आया।
- मेडिकल रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि नहीं हुई।
- UPT रिपोर्ट भी नेगेटिव रही।
- परिवार के सदस्यों की गवाही में किसी ने भी घटना की पुष्टि नहीं की।
इन तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने सभी आरोपों को झूठा करार देते हुए आरोपी को रिहा करने का आदेश दिया।
🧑⚖️ अधिवक्ता का बयान
मामले की पैरवी कर रहे अधिवक्ता जमन सिंह बिष्ट ने बताया कि न्यायालय ने तथ्यों और गवाहों के आधार पर फैसला सुनाते हुए कहा कि आरोप साजिशन और आधारहीन थे।
🧠 सवाल खड़े करता है यह मामला
यह मामला उस सामाजिक चुनौती को सामने लाता है, जहां झूठे आरोपों के चलते एक निर्दोष व्यक्ति को करीब दो साल जेल में बिताने पड़े। यह न्याय प्रणाली के लिए भी एक संवेदनशील चेतावनी है कि जांच और साक्ष्यों के आधार पर ही कार्रवाई की जाए।
