



नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सितारगंज क्षेत्र से ग्राम प्रधान पद का चुनाव लड़ रहे बजेंद्र सिंह की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया है। बजेंद्र सिंह ने अपने नामांकन पत्र के निरस्तीकरण को चुनौती दी थी। कोर्ट ने कहा कि चुनाव की तिथियां नजदीक हैं और ऐसे समय में हस्तक्षेप करना उचित नहीं होगा।









एकलपीठ में हुई सुनवाई के दौरान राज्य चुनाव आयोग ने न्यायालय को बताया कि पूर्व आदेशों के अनुपालन में अतिक्रमणकारियों की जांच कर सूची जारी की गई थी, जिसमें बजेंद्र सिंह को सरकारी भूमि पर अतिक्रमण का दोषी पाया गया। आयोग ने यह भी बताया कि मई माह में उन्हें अतिक्रमण हटाने के लिए कई बार नोटिस दिए गए, लेकिन उन्होंने जमीन खाली नहीं की। इसी आधार पर उनका नामांकन रद्द किया गया।
बजेंद्र सिंह ने याचिका में कहा था कि वे वर्षों से उस भूमि पर निवास कर रहे हैं और वह भूमि उनकी ही है। उनका दावा था कि चुनाव से पहले प्रशासन ने जानबूझकर कार्रवाई की है, जबकि यदि वे वास्तव में अतिक्रमी होते तो प्रशासन पहले ही कार्रवाई करता। उन्होंने अदालत से चुनाव लड़ने की अनुमति मांगी थी।
हालांकि, न्यायालय ने सभी तथ्यों को सुनने के बाद यह कहते हुए याचिका को निस्तारित कर दिया कि अब चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप का कोई औचित्य नहीं है। इस तरह बजेंद्र सिंह को न्यायालय से कोई राहत नहीं मिल सकी

