

चार जिलों में फोरेंसिक एक्सपर्ट चार जिलोँ से लाशें हल्द्वानी व अल्मोडा हो रही हैं रेफर











(योगेश पांडे)
हल्द्वानी: सुनने और पड़ने में भले ही यह कहानी लगे पर हकीकत यही है कि उत्तराखंड में गरीब मरीजों व घायलों के साथ लाशें भी रेफर हो रही हैं l कारण अल्मोडा व हल्द्वानी को छोड़कर कहीं भी फोरेंसिक एक्सपर्ट नहीं है l संदिग्ध मामलों में मौत का कारण स्पष्ट हो सके इसलिए ऊधमसिंह नगर, पिथौरागढ़, चंपावत व बागेश्वर से लाशों को लाकर हल्द्वानी व अल्मोडा में एक्सपर्ट डॉक्टरों से पोस्टमार्टम कराया जा रहा है।
कुमाऊँ में हर रोज एक दो मौतें जहर खाने से हर तीन दिन दो चार मौतें संदिग्ध कारणों से होती हैं ऊधमसिंह नगर, चंपावत, पिथौरागढ़ व बागेश्वर में पोस्टमार्टम हाउस तो हैं लेकिन वहां फोरेंसिक एक्सपर्ट नहीं है, एम बी बी एस डॉक्टर पोस्टमार्टम कर लेते हैं। मगर संदिग्ध मौतों में इनके लिए पोस्टमार्टम करना कठिन हो जाता है। काशीपुर, जसपुर, रुद्र पुर, रामनगर व नैनीताल से लाशें हलदानी पहुंचाई जा रही हैं। पहाड़ में संदिग्ध मामलों में मौत पर लाशें चंपावत पिथौरागढ़ व बागेश्वर से अल्मोड़ा पोस्टमार्टम हाउस में लाई जा रही हैं। जहाँ फोरेंसिक एक्सपर्ट की निगरानी में पोस्टमार्टम किया जाता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर अनेक मामलों में अपराधियों को सजा हो चुकी हैं। यहाँ पर भी गरीब लोगों पर मार पड़ती है दूर से लाशों को हल्द्वानी लाने में कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, टैक्सी या कारों में लाशो को ले जाना सम्भव नहीं होता इसलिए एम्बुलेंश वाले मजबूरी का फायदा उठाते हैं काशीपुर से हल्द्वानी लाश को लाने के लिए पांच से आठ हजार तक किराया देना पड़ जाता है लो गुरुवार को मोर्चरी में पांच महीने की बच्ची का भी पोस्टमार्टम करना पड़ा। युवती के युवक से प्रेम प्रसंग के चलते युवती ने पांच महीने की मृत मासूम को जन्म दिया। डाक्टर अरुण जोशी, प्राचार्य मेडिकल कॉलेज कहते हैं कि ,, मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा व हल्द्वानी में हैं l जहाँ फोरेंसिक एक्सपर्ट की टीम 24 घण्टे उपलब्ध रहती हैं l इसलिए संदिग्ध हालत में हुई मौतों के मामले में लाशों को इधर लाया जाता है।

