

( हर माह 110 माइको ग्राम प्रति घन मीटर से ज्यादा दर्ज हो रहा है हल्द्वानी में वायु प्रदूषण)











(योगेश पांडे)
हल्द्वानी धीरे धीरे हवा में घुलते जहर प्रदूषण के कारण अब हल्द्वानी में अस्थमा और फेफड़ों के मरीजों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। प्रदुषण नियंत्रण की बेबसाइट के अनुसार 101 से 200 की तरफ बढ़ने पर अस्थमा, फेफड़े, व हृदय सम्बन्धी मरीजों व बुजर्गों को दिक्कत आ जाती है l इसलिए हर माह प्रदूषण के स्तर की जांच की जाती है l
हल्द्वानी में भले ही स्थिति अभी दिल्ली की तरह खतरनाक न हो पर प्रति माह 110 माइको ग्राम प्रति घन मीटर से अधिक वायु प्रदूषण दर्ज हो रहा है जो हल्द्वानी जैसे शहर के लिए भविष्य में घातक हो सकता है l
कुमाऊँ के प्रवेश द्धार हल्द्वानी की आबादी लगातार बढ़ रही है खाली नगर निगम क्षेत्र में ही साढ़े चार लाख से अधिक आबादी रहती है l यहां कोई फैक्ट्री वगैरह नहीं है लेकिन वाहनों का दवाब व रोज नये निर्माण होने से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है l एक चौकाने वाली बात लोनिव की सड़क से जुड़ी रिपोर्ट में सामने आई कि मंगल पड़ाव से तिकोनिया के बीच प्रतिदिन पचास हजार वाहनो का आना जाना होता है l वायु प्रदूषण माइको ग्राम प्रति घन मीटर में निम्न प्रकार है l
जनवरी_119, 85 फरवरी122.19 मार्च120.84 अप्रेल126.41 मई122.03 जून121.03 जुलाई110.29 अगस्त111 सितम्बर_114.75
क्या कहते हैं क्षेत्रीय प्रबन्धक पीसीबी, अनुराग नेगी,, बड़े शहरों वाली स्थिति हल्द्वानी में नहीं हुई है l यहाँ वाहनो और निमार्ण कार्यो की वजह से प्रदूषण होता है l हालांकि भविष्य के लिहाज से सतर्कता की जरूरत है l

