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योगेश पांडे
नैनीताल। 14 अगस्त को जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव और कथित अपहरण प्रकरण के दौरान हुए हंगामे का मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। सोमवार को उत्तराखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ (मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा) ने सुनवाई तो की, लेकिन कोई अंतिम आदेश नहीं दिया। अब अगली सुनवाई मंगलवार 19 अगस्त को होगी।
कोर्ट ने नैनीताल के जिलाधिकारी और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिए हैं कि अब तक की गई कार्रवाई का पूरा विवरण शपथपत्र के रूप में प्रस्तुत करें। इस दौरान SSP ने सभी आरोपियों की गिरफ्तारी 24 घंटे के भीतर सुनिश्चित करने का आश्वासन दिया।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जिला पंचायत के उन पांच सदस्यों को सुनने से इनकार कर दिया, जिन पर अपहरण के आरोप लगे हैं। कोर्ट ने कहा कि ये सदस्य पहले भी गुमराह कर चुके हैं, इसलिए अब उनकी व्यक्तिगत दलीलें स्वीकार नहीं की जाएंगी।
जनहित याचिका के तहत री-पोल की मांग पर भी कोर्ट ने सुनवाई से इंकार किया। अदालत ने साफ किया कि फिलहाल केवल चुनाव के दिन हुई घटनाओं और उससे जुड़े तथ्यों पर ही स्वतः संज्ञान लिया गया है।
सोमवार की सुनवाई में हाईकोर्ट का रुख बेहद सख्त दिखा। मुख्य न्यायाधीश ने SSP नैनीताल प्रहलाद नारायण मीणा को कड़ी फटकार लगाई और कहा —
“नैनीताल केवल पर्यटन स्थल ही नहीं, यहां हाईकोर्ट भी है।”
वायरल वीडियो पर पुलिस की सफाई से नाराज़ कोर्ट ने तीखे सवाल पूछे —
“क्या हम अंधे हैं? आपकी पुलिस फोर्स कहां थी? हिस्ट्रीशीटर शहर में क्या कर रहे थे?”
कोर्ट ने यहां तक टिप्पणी कर दी कि SSP अपराधियों का बचाव कर रहे हैं। चीफ जस्टिस ने सरकारी वकील से कहा —
“सरकार से कहिए कि SSP का ट्रांसफर कर दिया जाए।”
हाईकोर्ट की सख्ती के बाद अब आरोपियों की गिरफ्तारी और बीजेपी नेताओं पर कार्रवाई की तलवार लटक रही है।
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