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(योगेश पांडे)










आनलाइन पेमेंट से भ्रष्टाचार कुछ हद तक रुक सकता है । आजकल आन लाइन लेन देन एक आम से लेकर खास तक सबकी पसंद बनता जा रहा है। मोबाइल के पास में रहते जेब से पर्स अपना अस्तित्व खो रहे हैं। अब जेब कटने का भी डर नहीं है। जेबकतरे भी बेरोजगार यानी अपराध और अपराधी पर भी अंकुश लगा रहा है आनलाइन पेमेंट।एक रेहड़ी वाले से बड़ा दुकानदार सभी इस सुविधा का उपयोग करते हैं। आनलाइन पेमेंट के बहुत साधन है जैसे गूगल पे,फोन पे,यूपीआई,पेटीएम। गाना भी आता है पेटीएम करो। पेमेंट करने पर प्रचलित एक्टर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की आवाज भी सुनाई देती है। लेकिन इन सब आनलाइन भुगतानों के चलते कुछ भुगतान आज भी चैको द्वारा किए जाते हैं।इस पर पूर्ण रुप से भ्रष्ट कर्मचारी अपना हिस्सा निकाल लेता है। जैसे मुख्यमंत्री राहत कोष की धनराशि चैक द्वारा, आपदा प्रबंधन कोष की धनराशि चैक द्वारा, बचाव एवं राहत कार्य की धनराशि चैक द्वारा, वन्यजीवों के हमले से मृत्यु या घायल होने की थनराशी चैक द्वारा। मुख्यमंत्री राहत कोष की धनराशि तहसीलदार द्वारा आवंटित की जानी चाहिए। पर राजनीति करने वाले नेता अपना वोट बैंक बढ़ाने व वोटर पर अधिकार जमाने के कारण चैको को ले जा कर खुद बांटते हैं। दूसरा आपदा राहत कोष की धनराशि पटवारी बांटते हैं वह भी इस धनराशि के चैक के बदले पीड़ित से सुविधा शुल्क लेते हैं। ऊधम सिंह नगर में अभी कुछ दिन पूर्व मात्र पांच हजार रुपए की धनराशि के बदले में कर्मचारी द्वारा तीन हजार रुपए रिश्वत मांगी गई। यदि अन्य भुगतानों की तरह यह सरकारी सुविधाओं की धनराशि आनलाइन सीधे अभ्यर्थी के खाते में जाए तो बहुत हद तक पारदर्शिता आ सकती है। आनलाइन भुगतान के फायदे शाय़द कुछ विभागों को रास नहीं आ रहें हैं, नहीं तो अब तक यह व्यवस्था सभी जरूरी धनराशि आवंटन में लागू कर व करा दी जाती।


