


(योगेश पांडे)










दीपावली जैसे जैसे नजदीक आ रही है, वैसे वैसे उल्लू की जान सांसत में आ रही है l पौराणिक कथाओं में कहा जाता है कि तीन रात्रि अति महत्वपूर्ण होती हैं शिव रात्रि, जन्माष्टमी व दीपावली दो रातों को जप तप व दीपावली की रात को तांत्रिक अनुष्ठान के लिए माना जाता है, कहावत है कि इस दिन उल्लू की पूजा बलि देने से तन्त्र विद्या सिद्ध होती है व लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं l इस कारण इस समय उल्लू की डिमांड बढ़ जाती है, तस्कर लोग मनमाना मुनाफा लेकर उल्लू को इन पूजा करने व कराने वालों को बेचते हैं l इस कारण उल्लू की धर पकड़ के लिए तस्कर सक्रिय हो रहे हैं l वन विभाग पहले ही लकड़ी तस्करो से आये दिन मार खा रहा है l तस्कर खुलेआम विभागीय कर्मचारियों पर गोली दाग दे रहे हैं या तमंचा तान दे रहे हैं। ऐसे में वन विभाग का यह दावा है कि उल्लू की तस्करी रोकने के लिए टीम गश्त कर रही हैं l हालांकि मोबाइल टावरों के चलते अब उल्लू बहुत कम दिखाई देते हैं l खटीमा उप वन प्रभाग के तीनों रेंज सुरयी, किलपुरा, खटीमा के जंगलों में उल्लू देखे गए हैं l वन विभाग के पास अभी कोई ऐसी आधुनिक सुविधा वाले यन्त्र नहीं है जिनका तस्कर इस्तेमाल करते हैं ऐसे में यही कहा जा सकता है कि कर्मचारी की मेहनत को पानी फेर तस्कर वन विभाग को ही उल्लू न बना जाएं।

